राजस्थान का वो गांव जहां इंसानों के साथ रहते हैं तेंदुए, बेहद दिलचस्प है इतिहास

राजस्थान का वो गांव जहां इंसानों के साथ रहते हैं तेंदुए, बेहद दिलचस्प है इतिहास

जयपुर। उदयपुर और जोधपुर के बीच राजस्थान के केंद्र में स्थित, बेरा अरावली पहाड़ियों से घिरा हुआ ग्रामीण इलाका है। राजस्थान के इस गांव में कदम रखने के बाद आपको राजस्थान रेगिस्तान स्थल दिखाई देंगे। यहां के गांव के लोग पर्यटकों का गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हैं। बेरा गांव राजस्थान के पाली जिले में …

जयपुर। उदयपुर और जोधपुर के बीच राजस्थान के केंद्र में स्थित, बेरा अरावली पहाड़ियों से घिरा हुआ ग्रामीण इलाका है। राजस्थान के इस गांव में कदम रखने के बाद आपको राजस्थान रेगिस्तान स्थल दिखाई देंगे। यहां के गांव के लोग पर्यटकों का गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हैं।

बेरा गांव राजस्थान के पाली जिले में बसा है और जोधपुर और उदयपुर के बीच में पड़ता है। यह उदयपुर से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। जवाई नदी और जवाई बांध बेरा के पास हैं। जवाई बांध जिले में सुजान जवाई कैम्प तेंदुए को देखने के लिए सबसे शानदार रहने के विकल्पों में से एक है।

बता दें, यहां के लोग रबारी नामक खानाबदोश चरवाहा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो मूल रूप से हजारों साल पहले बलूचिस्तान से आए थे और यहां बस गए थे। राबड़ी समुदाय का मानना है कि उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती द्वारा बनाया गया है।

बेरा गांव में तेंदुआ और इंसान एक साथ रहते हैं। ग्रामीण में रहने वाले लोग भगवान शिव और पार्वती के भक्त हैं। भगवान शिव के तेंदुए की खाल में लिपटे होने की वजह से जानवरों को काफी पवित्र माना जाता है। इसके अलावा गांव को तेंदुआ देश भी कहते हैं।

कई रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय टूर ऑपरेटर तेंदुआ न मिलने पर यहां आने वाली पर्यटकों को पैसे वापस देने की गारंटी भी देते हैं। जानवरों को आप अक्सर यहां, मंदिरों के बाहर, झाड़ियों के पीछे, चट्टान रेत पर आसानी से देख सकते हैं।

दुनिया के सबसे खूंखार शिकारियों में से एक तेंदुओं का इतिहास इस गांव में एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। आज बेरा उन जगहों में से एक है जहां सबसे ज्यादा तेंदुए पाए जाते हैं। लेकिन हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि इन जानवरों ने आज तक किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया है।

कई बार गांव में आने वाले पर्यटक तेंदुओं को आसपास घूमते देख डर जाते हैं। लेकिन इन्हें देखने के बाद गांव के लोगों में किसी भी तरह का डर नहीं दिखता।

 

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