शाहजहांपुर: सुहागिनों ने चंद्रदेव का पूजन कर मांगा अक्षय सुहाग

शाहजहांपुर: सुहागिनों ने चंद्रदेव का पूजन कर मांगा अक्षय सुहाग

शाहजहांपुर, अमृत विचार। सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ जनपद में श्रद्धा, विश्वास और उल्लास के साथ मनाया गया। सुहागिनों ने निर्जला उपवास रखकर और सजधज कर चंद्रदेव की पूजा-अर्चना की और पति के दीर्घायु की कामना की। नव विवाहिताओं में खासा उत्साह देखा गया। पूजा के बाद सभी ने बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया। पूजा के …

शाहजहांपुर, अमृत विचार। सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ जनपद में श्रद्धा, विश्वास और उल्लास के साथ मनाया गया। सुहागिनों ने निर्जला उपवास रखकर और सजधज कर चंद्रदेव की पूजा-अर्चना की और पति के दीर्घायु की कामना की। नव विवाहिताओं में खासा उत्साह देखा गया। पूजा के बाद सभी ने बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया। पूजा के समय सेल्फी और फोटोग्राफी भी खूब की गई।

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हिंदू धर्म में सुहाग के प्रतीक करवा चौथ का बहुत महत्व है। इस त्योहार में सुहागिनें निर्जला उपवास रखकर चंद्र देव की उपासना करती हैं। बहुत पहले घरों की दीवार पर करवाचौथ व्रत से संबंधित रंगोली बनाई जाती थी। दीवार पर चावल के पीठे और रंगों से देवी-देवताओं की आकृतियां बनाई जाती थी, लेकिन अब यह चलन लगभग खत्म हो चुका और इसकी जगह कैलेंडर ने ले ली है।

पूजा के लिए बाजारों में तरह-तरह के कैलेंडरों की खूब बिक्री हुई। सुहागिनों ने कैलेंडर को घर के पूजाघर के समीप लगाकर विधि-विधान से पूजन किया।

इसके अलावा आंगन और छतों पर पारंपरिक ढंग से चावल के पीठे से चौक पूरकर चंद्रदेव की भी आकृति बनाई गई। शाम से ही सुहागिनों ने सजना-संवरना शुरू कर दिया था। तमाम सुहागिनों ने सुहाग के जोड़े में ही सजकर पूजा की, वहीं बड़ी संख्या में सुहागिनों ने मनपसंद साड़ी और लहंगा-चोली पहनकर करवा चौथ का पूजन किया।

मेहंदी से सजे हाथ और तरह-तरह के आभूषण पहनकर सभी ने चंद्र देव का पूजन का उनसे अक्षय सुहाग का वरदान मांगा। आंगन में पूजा करने के बाद उपवास पर चल रहीं सुहागिनों ने छतों पर पहुंचकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर चंद्रदेव को अर्घ्य देकर पति के दीर्घायु होने की कामना की।

पूजा-अर्चना से निवृत्त होकर सभी ने पति के हाथ से जल पीकर उपवास का पारायण किया और बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीष लिया। रात आठ बजे के बाद चंद्रमा देखने के लिए लोग छतों पर डटे रहे। जैसे ही आकाश में चंद्रमा निकलने की लालिमा दिखाई दी, वैसे ही युवाओं ने पटाखे चलाकर और आतिशबाजी चलाकर खुशियां मनानी शुरू कर दीं। इधर, दिन में बच्चों और युवाओं ने नवविवाहिताओं को चिढ़ाकर उन्हें खूब परेशान किया।

चूंकि त्योहार में निर्जला व्रत की परंपरा है, इसलिए पहलीबार या दूसरी बार उपवास कर रहीं सुहागिनों को व्रत रखने में थोड़ी-बहुत परेशानी भी हुई। इसी कारण बच्चे उन्हें परेशान करते रहे। त्योहार पर देर रात तक आतिशबाजी चलाई जाती रही। श्रीकृष्णा नगर मंदिर में सुहागिनों ने सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना की। मंदिर पुजारी पंडित अखिलेश शास्त्री ने पूजन कार्य संपन्न कराया।

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