जानें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की तारीख और शुभ मुहूर्त

जानें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की तारीख और शुभ मुहूर्त

हिन्दू धर्म में दिवाली बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। यह दिवाली एक दिन का त्योहार नहीं है, इस त्योहार के साथ पांच त्योहार मनाए जाते हैं तब दीवाली पूरी होती है। धनतेरस दिवाली का पहला दिन माना जाता है। इसके बाद नरक चतुर्दशी फिर दिवाली, गोवर्धन पूजा और आखिरी में भैयादूज का त्योहार …

हिन्दू धर्म में दिवाली बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। यह दिवाली एक दिन का त्योहार नहीं है, इस त्योहार के साथ पांच त्योहार मनाए जाते हैं तब दीवाली पूरी होती है। धनतेरस दिवाली का पहला दिन माना जाता है। इसके बाद नरक चतुर्दशी फिर दिवाली, गोवर्धन पूजा और आखिरी में भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है। हर त्योहार की अलग-अलग मान्यता है और इससे जुड़ी विशेषताएं और लाभ भी अलग हैं।

धनतेरस
धनतेरस 2 नवंबर, मंगलवार को मनाई जाएंगी। मान्यता है इस इस दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रगट हो हुए थे। इसी कारण से हर वर्ष धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा निभाई जाती है। कहा जाता है जो भी व्यक्ति धनतेरस के दिन सोने-चांदी, बर्तन, जमीन-जायजाद की शुभ खरीदारी करता है उसमें तेरह गुना की बढ़ोत्तरी होती है।

धनतेरस का शुभ मुहूर्त
धनतेरस मुहूर्त – शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात के 08 बजकर 11 मिनट तक
धनतेरस पर शुभ खरीदारी की अवधि :1 घंटे 52 मिनट तक

नरक चतुर्दशी/छोटी दीवाली
इस साल नरक चतुर्दशी का त्योहार 3 नवंबर बुधवार को मनाया जाएगा है। यह धनतेरस के बाद मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। दिवाली से पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है। घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है।

शुभ मुहूर्त
अभयंगा स्नान मुहूर्त 05.40 सुबह से 06.03 सुबह तक

दिवाली/ महालक्ष्मी पूजा
प्रकाशोत्सव का पर्व दिवाली इस साल 4 नवंबर को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि के दिन प्रदोष काल होने पर दिवाली पर महालक्ष्मी पूजन करने का विधान है। दिवाली पर घरों को रोशनी से सजाया जाता है। दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-आराधना होती है। मान्यता के मुताबिक दिवाली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर ये देखती हैं किसका घर साफ है और किसके यहां पर विधिविधान से पूजा हो रही है।

लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
मुहूर्त: 18:10:28 से 20:06:18 तक

गोवर्धन पूजा
दिवाली के एक दिन बाद यानी 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा है। हिदूं पंचांग के अनुसार गोवर्धन का त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी किया जाता है। इस त्योहार में भगवान कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। इसी दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग बनाकर लगाया जाता है।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त: 06:35 मिनट से 08:47 मिनट तक

भाई दूज
पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली पर्व का समापन भाई दूज से होता है। यह दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस बार यह 06 नवंबर को है। भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगती हैं। इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है।

भाई दूज का शुभ मुहूर्त
दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से लेकर 03 बजकर 21 मिनट तक।

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