International Mother Language Day 2022: मातृभाषा को सलाम, देश में बोली जाती हैं 270 Languages, जानें कुछ रोचक तथ्य

International Mother Language Day 2022: मातृभाषा को सलाम, देश में बोली जाती हैं 270 Languages, जानें कुछ रोचक तथ्य

भाषा के माध्यम से ही हम एक-दूसरे से बात करते हैं और फीलिंग को समझ पाते हैं। सोच कर देखिए अगर भाषा ही नहीं होती तो क्या होता? और वो भी मातृभाषा। क्योंकि सबसे पहले वो ही भाषा बोलना सीखते हैं जो हमारे परिवार में बोलीं जाती है। अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान और जागरुकता …

भाषा के माध्यम से ही हम एक-दूसरे से बात करते हैं और फीलिंग को समझ पाते हैं। सोच कर देखिए अगर भाषा ही नहीं होती तो क्या होता? और वो भी मातृभाषा। क्योंकि सबसे पहले वो ही भाषा बोलना सीखते हैं जो हमारे परिवार में बोलीं जाती है। अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान और जागरुकता फैलाना है। विश्व भर में 21 फरवरी को ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ मनाया जाता है।

अंतरराष्‍ट्रीय मातृ भाषा दिवस मनाने के विचार को साल 1999 में यूनेस्को के आम सम्मेलन में मंजूरी दी गई थी और यह दिन साल 2000 से दुनिया भर में मनाया जा रहा है। हर साल इस दिन को एक खास थीम के जरिए मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय ‘बहुभाषी शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग: चुनौतियां और अवसर’ है और यह बहुभाषी शिक्षा को आगे बढ़ाने में प्रौद्योगिकी की संभावित भूमिका को उजागर करेगा।

भारत में मातृभाषा
साल 2011 में भारत सरकार द्वारा की गई जनगणना के अनुसार, भारत में कुल 121 भाषाएं और 270 मातृभाषाएं बोली जाती हैं. अनुसूचित भाषाओं की श्रेणी में कुल 123 मातृभाषाएं हैं और 147 मातृभाषाओं को गैर-अनुसूचित भाषाओं के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।

असमिया, बंगाली, गुजराती, अवधी, हिंदी, राजस्थानी, हरियाणवी, कन्‍नड़, कोंकणी, मणिपुरी, उड़िया, मलयालम, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, सिंधी, उर्दू और तेलुगु कुछ व्यापक रूप से ज्ञात मातृभाषाएं हैं और इन्हें भारत के संविधान में आठवीं अनुसूची में भी निर्दिष्ट किया गया है।

अन्य अनुसूचित मातृभाषाओं में मराठी, गढ़वाली, छत्तीसगढ़ी, मैथिली, मारवाड़ी, डोगरी, पहाड़ी, संबलपुरी और भोजपुरी शामिल हैं. गैर-अनुसूचित मातृभाषा श्रेणी में अफगानी, अरबी, अंग्रेजी, बाउरी, खरिया, किन्‍नौरी, तुलु, शेरपा, माओ, मोनपा और गुजरी शामिल हैं।

इंडिया टुडे के अनुसार, जनगणना में भारत सरकार द्वारा सूचीबद्ध कुल भाषाओं में से 96.71 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा अनुसूचित भाषाओं में से एक है और 3.29 प्रतिशत भारतीय लोग गैर-अनुसूचित भाषा श्रेणी के तहत सूचीबद्ध मातृभाषा बोलते हैं।

भारतीय भाषाओं के बारे में रोचक तथ्य

  • भारत का संविधान अंग्रेजी और हिंदी को भारत सरकार की आधिकारिक भाषाओं के रूप में नामित करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार यह केवल देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी है जिसे केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है।
  • भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है, जिसे दर्जा और आधिकारिक प्रोत्साहन भी दिया जाता है। 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषाओं के रूप में संदर्भित किया गया है।
  • तमिल, संस्कृत, मलयालम, ओडिया और तेलुगु भाषा को काफी पुरानी होने की वजह से इनको शास्त्रीय भाषाओं का गौरव प्राप्त हुआ है।
  • भारत की लगभग सभी भारतीय भाषाएं एफ्रो-एशियाटिक, द्रविड़ियन, इंडो-आर्यन और सिनो-तिब्बती 4 समूहों में से एक में आती हैं।
    पूरे विश्व में हिंदी लगभग 500 मिलियन (50 करोड़) लोगों द्वारा बोली जाती है। हिंदी भाषा दुनिया भर में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। बंगाली और पंजाबी भाषा भी शीर्ष 10 भाषाओं की सूची में शामिल है।
  • मत्तूरु, जो कर्नाटक में शिमोगा जिले में स्थित है, गाँव के लोग एक-दूसरे से संस्कृत में बातचीत करते हैं।
  • संस्कृत उत्तराखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा है। इसे अक्सर लैटिन वंश से संबंधित माना जाता है।
  • तेलुगु एक भारतीय भाषा है जिसे ‘इटैलियन ऑफ द ईस्ट’ कहा जाता है।
  • आज के समय में फ्रेंच आमतौर पर पुडुचेरी में बोली जाती है।
  • अंग्रेजी भारत के संविधान द्वारा निर्दिष्ट सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय की आधिकारिक भाषा है।
  • सभी प्रमुख भारतीय महाकाव्य संस्कृत में लिखे गए हैं।
  • अंग्रेजी भारत की मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक नहीं है। (संविधान की आठवीं अनुसूची के अनुसार, 22 भाषाएँ हैं जिन्हें मान्यता, दर्जा और आधिकारिक प्रोत्साहन दिया जाता है लेकिन अंग्रेजी उन 22 भाषाओं में से एक नहीं है)।
  • सिंधी, कोंकणी, नेपाली, मणिपुरी, मैथिली, डोगरी, बोडो और संथाली वे भाषाएँ हैं जिन्हें संविधान में संशोधन के बाद संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया था। इससे पहले, 14 भाषाएं थीं जिन्हें शुरू में संविधान में शामिल किया गया था।
  • लगभग 99% उर्दू शब्द प्राकृत और संस्कृत भाषा से लिए गए हैं।
  • 2011 की सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन रिपोर्ट के अनुसार 234 पहचान योग्य मातृभाषाओं को मान्यता दी गई है।
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लोग बंगाली, हिंदी, मलयालम, निकोबारी, तमिल और तेलुगु भी बोलते हैं।
  • जर्मनी में संस्कृत काफी लोकप्रिय है। जर्मनी में लगभग 10 विश्वविद्यालय हैं जिनमें संस्कृत एक विषय के रूप में शामिल है।

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