देश में जन-जन तक न्याय की अंतिम मील तक पहुंच … आज भी एक बहुत बड़ी चुनौती : किरेन रिजिजू
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रथम अखिल भारतीय ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया। इस मौके पर भारत के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना और केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद रहे। केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आज पहली बार अखिल भारतीय ज़िला विधिक सेवा …
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रथम अखिल भारतीय ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया। इस मौके पर भारत के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना और केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद रहे।
केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आज पहली बार अखिल भारतीय ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण की बैठक दिल्ली में हो रही है। हमारे देश में जन-जन तक न्याय की अंतिम मील तक पहुंच आज भी एक बहुत बड़ी चुनौती है। क़ानूनी सेवाओं के वितरण में समता, जवाबदेही और सुलभ पहुंच इनके तीन आवश्यकताओं को सुरक्षित करने के लिए हम नागरिकों की भागीदारी को अमल में ला सकते हैं।
अखिल भारतीय जिला क़ानूनी सेवा प्राधिकरण बैठक में CJI एन.वी. रमना ने कहा कि हमारी असली ताकत युवाओं में है। दुनिया के 1/5 युवा भारत में रहते हैं। कुशल श्रमिक हमारे कार्यबल का केवल 3% हैं। हमें अपने देश के कौशल बल का उपयोग करने की आवश्यकता है और भारत अब वैश्विक अंतर को भर रहा है।
बहुसंख्यक न्याय वितरण तंत्र का अनुसरण नहीं कर सकते। न्याय तक पहुंच सामाजिक मुक्ति का एक साधन है। अगर आज हम न्याय के साथ लोगों के दरवाजे तक पहुंच पाए हैं, तो हमें योग्य न्यायाधीशों, उत्साही अधिवक्ताओं और सरकारों को धन्यवाद देना होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि ये समय हमारी आजादी के अमृतकाल का समय है। ये समय उन संकल्पों का समय है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। देश की इस अमृतयात्रा में व्यापार करने में आसानी और जीवन में आसानी की तरह ही न्याय की आसानी भी उतनी ही जरूरी हैं। किसी भी समाज के लिए न्याय प्रणाली तक पहुंच जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी न्याय वितरण प्रणाली भी है। इसमें एक अहम योगदान न्यायिक अवसंरचना का भी होता है। पिछले आठ वर्षों में देश के न्यायिक अवसंरचना को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है।
पीएम मोदी ने कहा कि ई-कोर्ट मिशन के तहत देश में वर्चुअल कोर्ट शुरू की जा रही हैं। यातायात उल्लंघन जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे चलने वाली कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया है। लोगों की सुविधा के लिए कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इनफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी किया जा रहा है। न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को ये एहसास दिलाता है कि देश की व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं। इसी सोच के साथ देश ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की स्थापना भी की। ताकि कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी न्याय का अधिकार मिल सके।
बता दें कि यह पहला मौका था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक साथ कोई मंच शेयर किया हो। मोदी ने कहा- हमारे गांव-गांव में लोग ऑनलाइन पेमेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं। दुनिया का चालीस फीसदी ऑनलाइन पेमेंट भारत में होता है। इसमें हम सबसे आगे हैं।
मोदी ने अपना भाषण श्लोक सुनाकर शुरू किया। वे बोले- अङ्गेन गात्रं नयनेन वक्त्रं न्यायेन राज्यं लवणेन भोज्यं। यानी जिस तरह विभिन्न अंगों से शरीर की, आंखों से चेहरे की, नमक से भोजन की सार्थकता पूरी होती है, वैसे ही न्याय से शासन की सार्थकता होती है। हमारे देश सामान्य से सामान्य व्यक्ति को यह विश्वास है, जब कोई नहीं सुनेगा, तब न्यायालय के दरवाजे खुले हैं। न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को ये अहसास दिलाता है कि देश उसके अधिकारों की रक्षा कर रहा है।
मुझे बताया गया है कि हमारे देश में जिला कोर्ट में एक करोड़ से ज्यादा केस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुने जाते हैं। साठ लाख केस सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स में भी सुने गए हैं। यह अच्छा मैसेज है कि हम खुद को लगातार बदल रहे हैं। इसका श्रेय आप सभी को जाता है। मोदी ने मुस्कुराते हुए कहा- आप सभी (जजों) के बीच आना बड़ा सुखद होता है, लेकिन बोलना कठिन हो जाता है।
ये भी पढ़ें : महाराष्ट्र में शिंदे सरकार का एक महीना पूरा, कैबिनेट विस्तार के अभी कोई संकेत नहीं
Addressing the inaugural session of First All India District Legal Services Authorities Meet. https://t.co/tdCOn6R9o1
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2022