हल्द्वानी: सलाखों के पीछे ऐसा हुनर, जिसने देखा दंग रह गया… बिखरी उत्तराखंडी संस्कृति की झलक

हल्द्वानी, अमृत विचार। बहाने बनाकर अपने हालातों को कोसने वाले कई लोगों से आपका सामना अक्सर होता होगा। वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनके अंदर कुछ नया, कुछ अलग करने का जुनून होता है और इस जुनून में वे कुछ ऐसा बना देते हैं, जो सच में सबसे यूनिक होता है। बदले में वह …

हल्द्वानी, अमृत विचार। बहाने बनाकर अपने हालातों को कोसने वाले कई लोगों से आपका सामना अक्सर होता होगा। वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनके अंदर कुछ नया, कुछ अलग करने का जुनून होता है और इस जुनून में वे कुछ ऐसा बना देते हैं, जो सच में सबसे यूनिक होता है। बदले में वह अपने विपरीत हालातों को रोना भी नहीं रोते। कुछ ऐसी ही क्रिएटिविटी और अद्भुत पेंटिंग से इन दिनों हल्द्वानी कारागार का माहौल गुलजार है। आप कहेंगे जेल की जो दुनिया जुर्म की सजा के लिए बनी है आखिर वहां यह सब कैसे संभव हो पाया।

बंदियों द्वारा बनाई गई नंदा राज जाता यात्रा की मनभावन पेंटिंग।

दरअसल यहां सलाखों के पीछे कैद दो बंदियों ने अपने जुनून के दम पर यह सब संभव कर दिखाया है। नतीजा यह है कि आज कारागार की दीवारें उत्तराखंड की संस्कृति, पर्यावरण के रंग में रंगी हुई हैं। जेल की दीवारों पर इन बंदियों ने अपने जुनून और प्रतिभा के दम पर उत्तराखंड की संस्कृति को बखूबी दर्शाया है, जहां आपको कुमाऊंनी वेशभूषा में सजी मातृशक्ति तो नंदा राजजात यात्रा की सुंदर पेंटिंग के भी दीदार होंगे। यही वजह है कि हर देखना वाला इन्हें एक टक निहारना नहीं भूलता।

बंदियों द्वारा बनाई गई पेंटिंग। इनसेट में जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा।

दरअसल यह सब संभव हो पाया जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा और जुनूनी बंदियों के प्रयासों से। जिसके बाद जेल की दीवारों की सूरत ही बदल गई है। जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि कुछ दिन पहले स्क्रैच पेंटिंग में कुशल अनुपम नंदी नाम का शख्स जेल से छूटा तो उसने निवेदन किया कि वह बाकी बंदियों को भी पेंटिंग के गुर सीखाना चाहता है। ऐसे में अनुपम के आग्रह को स्वीकारते हुए उसे जेल के भीतर ड्राइंग की पाठशाला लगाने की अनुमति दी। कुछ दिनों की ट्रेनिंग के बाद नतीजा यह रहा कि दो बंदी नईम और सलीम पेंटिंग में कुशल हो गए। जिसका नतीजा यह है कि आज सलीम और नईम की कलाकारी से हल्द्वानी कारागार की दीवारों पर सामान्य रंग नहीं बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के रंग बिखरे नजर आ रहे हैं। समय समय पर कारागर के निरीक्षण को आने वाले अधिकारी भी बंदियों की इस प्रतिभा को देखकर दंग रह जाते हैं। उम्मीद यही है कि अपराध की सजा काट रहे ये बंदी जब भी जेल से छुटेंगे तो इनकी जिंदगी के रंग भी बदल जाएंगे।