ज्ञानवापी में मिले कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग नहीं होगी, वाराणसी कोर्ट ने दिया ऑर्डर

ज्ञानवापी में मिले कथित ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग नहीं होगी, वाराणसी कोर्ट ने दिया ऑर्डर

वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी कोर्ट ने मस्जिद परिसर में कार्बन डेटिंग और कथित ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच की मांग वाली हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज किया है। ये भी पढ़ें- ज्ञानवापी केस: कार्बन डेटिंग …

वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी कोर्ट ने मस्जिद परिसर में कार्बन डेटिंग और कथित ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच की मांग वाली हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज किया है।

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हिन्दू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि हमारी कार्बन डेटिंग की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि शिवलिंग के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो, अभी इसकी आवश्यकता नहीं है। हम उच्च न्यायालय में भी अपनी बात रखेंगे क्योंकि विज्ञान की कसौटी पर जीवन जिया जा सकता है।

कोर्ट ने इससे पहले 11 अक्टूबर को दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके साथ ही कोर्ट ये भी तय करेगा कि कथित शिवलिंग या शिला की जांच की जाएगी या नहीं। अगर जांच होगी तो उसके लिए क्या शर्तें होंगी।

चार महिलाओं ने दायर की याचिका
इससे पहले वाराणसी की कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को दरकिनार कर श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी केस को सुनवाई के योग्य माना था। इसके बाद हिंदू पक्ष की 4 वादी महिलाओं ने याचिका दायर कर कार्बन डेटिंग कराने की मांग की है।

दरअसल, कोर्ट यह तय करेगी कि कार्बन डेटिंग विधि से ज्ञानवापी परिसर की जांच करनी है या नहीं? दरअसल, हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग कह रहा है उसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। हिंदू पक्ष की मांग है कि शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाए। कार्बन डेटिंग की मांग चार महिलाओं ने की है। वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत इस मामले में सुनवाई कर रही है।

क्या होती है कार्बन डेटिंग?
कार्बन डेटिंग से लकड़ी, चारकोल, पुरातात्विक खोज, हड्डी, चमड़े, बाल और खून के अवशेष की उम्र पता चल सकती है। कार्बन डेटिंग से लेकिन एक अनुमानित उम्र ही पता चलती है, सटीक उम्र का पता लगाना मुश्किल होता है। पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकती, लेकिन बर्तनों की डेटिंग हो सकती है। अगर पत्थर में किसी प्रकार का कार्बनिक पदार्थ मिलता है तो उससे एक अनुमानित उम्र का पता किया जा सकता है।

क्या है पूरा मामला?
अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी में पूजन और विग्रहों की सुरक्षा को लेकर याचिका डाली थी। इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी का सर्वे कराने का आदेश दिया था। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला। जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि ये एक फव्वारा है।

इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी। सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। जिला जज ने पूजा की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना था।

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