जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय की शर्तों को बहाल किया जाए: महबूबा मुफ्ती
श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर अक्टूबर 1947 में महाराजा हरि सिंह द्वारा हस्ताक्षरित विलय पत्र की शर्तों को बहाल नहीं किया गया तो जम्मू-कश्मीर में भारत की उपस्थिति अवैध हो जाएगी। यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर: कुलगाम में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़, एक आतंकवादी ढेर …
श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगर अक्टूबर 1947 में महाराजा हरि सिंह द्वारा हस्ताक्षरित विलय पत्र की शर्तों को बहाल नहीं किया गया तो जम्मू-कश्मीर में भारत की उपस्थिति अवैध हो जाएगी।
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उन्होंने कहा कि पांच अगस्त, 2019 के फैसले अवैध थे जब केंद्र ने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया था। महबूबा ने यहां पार्टी कार्यालय में एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय जिन शर्तों पर हुआ था, उन्हें बहाल करना होगा या यहां आपकी उपस्थिति अवैध हो जाएगी।
1947 में विलय के समय दी गई गारंटी हमसे कानूनी रूप से नहीं छीनी जा सकती। अगर कोई अवैध रूप से ऐसा करता है, तो भारतीय जनता पार्टी को नए सिरे से विलय करना होगा। यह किन शर्तों पर होगा, मुझे नहीं पता है।” उन्होंने कहा कि 26 अक्टूबर 1947 को लिया गया निर्णय सही था और उसका कानूनी आधार था।
उन्होंने कहा, “इस पर महाराजा ने हस्ताक्षर किए थे और शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का समर्थन था। पांच अगस्त, 2019 को लिया गया निर्णय अवैध था।’’ पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने आरोप लगाया कि यह विडंबना है कि एक ओर सरकार ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय का जश्न मनाने के लिए 26 अक्टूबर को छुट्टी की घोषणा की है लेकिन वह विलय की भावना को कुचल रही है।
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