अपने घर कुछ यूं लाएं गणपति बप्पा, मिलेगी रिद्धि-सिद्धि व शुभ-लाभ

अपने घर कुछ यूं लाएं गणपति बप्पा, मिलेगी रिद्धि-सिद्धि व शुभ-लाभ

हिंदू धर्म में गणपति बप्पा के पूजन के बगैर पूजा ही अधुरी मानी जाती है। हिंदी पंचांग के मुताबिक़ गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन गणेश का जन्मदिन मनाया जाता और महोत्सव का आरंभ भी माना जाता है। गणेश चतुर्थी पर …

हिंदू धर्म में गणपति बप्पा के पूजन के बगैर पूजा ही अधुरी मानी जाती है। हिंदी पंचांग के मुताबिक़ गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन गणेश का जन्मदिन मनाया जाता और महोत्सव का आरंभ भी माना जाता है। गणेश चतुर्थी पर ही घरों में गणेश जी की स्थापना की परंपरा है। पंचांग के अनुसार गणेश महोत्सव का समापन 19 सितंबर 2021, रविवार के दिन अनंत चतुर्दशी के पर्व पर किया जाएगा।

गणेश चतुर्थी के दिन  भगवान गणपति की प्रतिमा को घर लाकर पूजा की शुरुआत करते हैं। अपनी मान्यता के अनुसार अतिथि के रूप गणेश की प्रतिमा को डेढ़ दिन, तीन दिन और 11 दिनों के लिए घर पर रखते हैं। इतने दिन इनकी तन मन से पूजा की जाती है। फिर किसी नदी में इनका विसर्जन किया जाता है। पहले दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को शुभ मुहूर्त पर  घर लाना सबसे पवित्र समझा जाता है।

गणपति का गृह प्रवेश
ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्र ने बताया कि  गणपति बप्पा के आगमन पर शंख और घंटी बजाकर उनका स्वागत करना चाहिए। इसके बाद एक चौकी में लाल कपड़ा बिछाकर उन्हें विराजमान करना चाहिए। इसके साथ ही दूर्वा और पान के पत्ते को गंगाजल में भिगोकर उन्हें स्नान कराना चाहिए। इस दौरान मंत्र ‘ ऊं गं गणपतये नम:’ का जाप करें। जो श्रद्धालु गणेश जी की मूर्ति को चतुर्थी से पहले अपने घर ला रहे हैं, उन्‍हें मूर्ति को एक कपड़े से ढककर लाना चाहिए और पूजा के दिन मूर्ति स्‍थापना के समय ही इसे हटाना चाहिए।

शुभ संयोग
चतुर्थी पर पांच ग्रह अपनी श्रेष्ठ स्थिति में विद्यमान रहेंगे। इनमें बुध कन्या राशि में, शुक्र तुला राशि में, राहु वृषभ राशि में, केतु वृश्चिक राशि तथा शनि मकर राशि में विद्यमान रहेंगे। बाजार में उन्नती होगी। इस बार 10 सितंबर को चित्रा-स्वाति नक्षत्र के साथ रवियोग रहेगा। चित्रा नक्षत्र शाम 4.59 बजे तक रहेगा और इसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा। वहीं सुबह 5.42 बजे से दोपहर 12.58 बजे तक रवि योग रहेगा।इस बार मंगल बुधादित्य योग भी रहेगा। सूर्य, मंगल और बुध तीनों ग्रह का एक ही राशि में युति कृत होने से इस योग का निर्माण होता है। यह योग नए कार्य के आरंभ के लिए अति श्रेष्ठ है।

खास मुहूर्त
चतुर्थी पर सुबह 11 बजकर 9 मिनट से रात 10 बजकर 59 मिनट तक पाताल निवासिनी भद्रा रहेगी। कहते है कि यह स्थिति धन देने वाली गई है। भद्रा का असर गणेशजी को विराजित करने और उनकी पूजा करने पर नहीं पड़ेगा। भादो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी शुक्रवार के दिन चित्रा नक्षत्र, ब्रह्म योग, वणिज करण व तुला राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। वणिज करण की स्वामिनी माता लक्ष्मी हैं। अर्थात गणेश के साथ माता लक्ष्मी का आगमन होगा। भगवान गणेश रिद्धि सिद्धि व शुभ लाभ के प्रदाता मने गए हैं। इसलिए इस बार पूजा का लाभ कई गुना अधिक मिलेगा।

पूजन विधि
गणेश चतुर्थी के दिन ब्रह्म मूहर्त में उठकर स्नान आदि से शुद्ध होकर शुद्ध कपड़े पहनें। आज के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना अति शुभ होता है। गणपति बप्पा का पूजन शुद्ध आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ करके करें। पंचामृत से श्री गणेश को स्नान कराएं तत्पश्चात केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती करें। उनको मोदक के लड्डू अर्पित करें। उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। श्री गणेश जी का श्री स्वरूप ईशाण कोण में स्थापित करें और उनका श्री मुख पश्चिम की ओर रहे।

संध्या पूजन
संध्या के समय गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें। अंत में गणेश मंत्र ‘ ऊं गणेशाय नम:’ अथवा ‘ऊं गं गणपतये नम: का अपनी श्रद्धा के अनुसार जाप करें। अपने दोनों हाथ जोड़कर स्थापना स्थल के समीप बैठकर किसी धर्म ग्रंथ का पाठ रोजाना करेंगे तो शुभ फल मिलेगा। सच्‍चे मन और शुद्ध भाव से गणपति की पूजा करने से बुद्धि, स्‍वास्‍थ्‍य और संपत्ति मिलती है।

मूर्ति का ऐसे करें चयन

  • सफेद मदार की जड़ या मिट्टी से बनी मूर्ति पूजा पूजन के लिए उत्तम रहती है। पूजन के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति घर न लाएं।
  • गणेश जी की बाईं ओर वाली सूंड को वाममुखी गणपति कहा जाता है। कहते हैं वाममुखी गणपति की पूजा करना आसान होता है। जबकि दाईं ओर सूंड वाले गणपति की पूजा के लिए विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है।
  • गणपति की सफेद या सिंदूरी रंग की प्रतिमा लाना शुभ माना जाता है।
  • अगर आप घर पर गणपति की मूर्ति नहीं ला पाए तो एक साबुत सुपारी को उनकी जगह पर स्थापित कर सकते हैं। सुपारी को गणपति जी का प्रतीक माना जाता है।

 

-शिवानी सक्सेना

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