BJP ने संसदीय बोर्ड से गडकरी और शिवराज को हटाया, 15 सदस्यीय चुनाव समिति का भी ऐलान

BJP ने संसदीय बोर्ड से गडकरी और शिवराज को हटाया, 15 सदस्यीय चुनाव समिति का भी ऐलान

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बुधवार को नए संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति का ऐलान किया है। 11 सदस्यों वाली संसदीय बोर्ड से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को हटा दिया गया है। शिवराज सिंह चौहान को 2013 में बोर्ड में शामिल किया गया था। नए …

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बुधवार को नए संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति का ऐलान किया है। 11 सदस्यों वाली संसदीय बोर्ड से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को हटा दिया गया है। शिवराज सिंह चौहान को 2013 में बोर्ड में शामिल किया गया था।

नए संसदीय बोर्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा सर्वानंद सोनोवाल, बीएस येदियुरप्पा, के लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जटिया और पार्टी सचिव बीएल संतोष को जगह मिली है। ससंदीय बोर्ड में कुल 11 सदस्य हैं। संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में एक भी मुख्यमंत्री को भी जगह नहीं मिली है।

इसके साथ ही बीजेपी ने 15 सदस्यों की केंद्रीय चुनाव समिति का गठन किया है। इसमें पीएम मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह, राजनाथ सिंह के अलावा बीएस येदियुरप्पा, के लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जटिया, भूपेंद्र यादव, देवेंद्र फडणवीस, ओम माथुर, बीएल संतोष और वनथी श्रीनिवास को जगह दी गई है।

भाजपा में पार्टी की संसदीय बोर्ड को सबसे ताकतवर माना जाता है। गठबंधन से लेकर हर बड़े फैसले बोर्ड की 11 सदस्यीय टीम लेती है। इसके अलावा राज्यों में मुख्यमंत्री का चेहरा या विधान परिषद का नेता चुनने का काम भी इसी इकाई का होता है।

पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश के सीएमऔर विपक्ष का नेता चुनने का काम संसदीय बोर्ड ही करती है। राष्ट्रीय और राज्य में स्तर पर गठबंधन पुर भी संसदीय बोर्ड का ही फैसला अंतिम माना जाता है।

संसदीय बोर्ड के बाद चुनाव समिति बीजेपी में दूसरी सबसे ताकतवर संस्था के तौर पर जानी जाती है। चुनाव समिति के सदस्य लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव के टिकटों पर फैसला लेते हैं। चुनावी मामलों की सभी शक्तियां पार्टी की चुनाव समिति के पास हैं।

2014 लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार भी केंद्रीय चुनाव समिति ने ही तय किया था। तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह हुआ करते थे।

पिछले महीने एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था- कभी-कभी मन करता है कि राजनीति ही छोड़ दूं। समाज में और भी काम हैं, जो बिना राजनीति के किए जा सकते हैं।

गडकरी ने कहा कि महात्मा गांधी के समय की राजनीति और आज की राजनीति में बहुत बदलाव हुआ है। बापू के समय में राजनीति देश, समाज, विकास के लिए होती थी, लेकिन अब राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए होती है। उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि राजनीति का क्या मतलब है। क्या यह समाज, देश के कल्याण के लिए है या सरकार में रहने के लिए है?

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