बाइडेन प्रशांत क्षेत्र के द्विपीय देशों को अपने पक्ष में करने की करेंगे कोशिश

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशांत क्षेत्रों में चीन के आर्थिक और सैन्य प्रभाव का मुकाबला करने के इरादे से प्रशांत द्विपीय देशों के नेताओं की दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं। वहीं, प्रशांत क्षेत्र के द्विपीय देशों की चिंता इन महाशक्तियों के द्वंद्व से ज्यादा जलवायु परिवर्तन है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी …

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशांत क्षेत्रों में चीन के आर्थिक और सैन्य प्रभाव का मुकाबला करने के इरादे से प्रशांत द्विपीय देशों के नेताओं की दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं। वहीं, प्रशांत क्षेत्र के द्विपीय देशों की चिंता इन महाशक्तियों के द्वंद्व से ज्यादा जलवायु परिवर्तन है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की योजना बुधवार को प्रशांत द्विपीय देशों के नेताओं और अधिकारियों के साथ दोपहर के भोज के साथ सम्मेलन की शुरुआत करने की है।

अमेरिका के जलवायु दूत जॉन केरी इन नेताओं के साथ गोलमेज सम्मेलन करेंगे और व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन रात्रि भोज में शामिल होंगे व रात के खाने की मेजबानी अमेरिकी कोस्ट गार्ड द्वारा की जाएगी। बाइडन इन नेताओं को बृहस्पतिवार को विदेश मंत्रालय में संबोधित करेंगे और फिर व्हाइट हाउस में रात्रि भोज की मेजबानी करेंगे। इन नेताओं का अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के निम्न सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री गिना रैमोंडो और अमेरिकी कारोबारियों से भी मुलाकात करने का कार्यक्रम है।

व्हाइट हाउस के मुताबिक फिजी, मार्शल आइलैंड, माइक्रोनेशिया, पलाउ, पापुआ न्यू गिनी, सामोआ और सोलोमन आइलैंड,टोंगो, तुवालु, कुक आईलैंड, फ्रेंच पोलिनिशिया और न्यू केलिडोनिया के नेता इस सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं। वहीं, वानुआटु और नाउरु अपने प्रतिनिधि भेज रहे हैं। व्हाइट हाउस के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और प्रशांत द्वीप मंच के महानिदेशक अपने पर्यवेक्षक भेज रहे हैं।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन पियरे ने कहा, ‘‘यह क्षेत्र के साथ हमारी साझेदारी को प्रदर्शित करता है।’’ उन्होंने बताया कि उम्मीद है कि जलवायु परिवर्तन, कोरोना वायरस महामारी और आर्थिक प्रगति, समुद्री सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर वार्ता होगी। इस तरह का पहला शिखरा सम्मेलन यह दिखाने के लिए हो रहा है कि अब भी अमेरिका इस क्षेत्र में अहम किरदार बने रहने के लिए प्रतिबद्ध है।

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