बरेली: जिला अस्पताल में लाइन में लगकर मरीजों का बढ़ रहा दर्द
बरेली, अमृत विचार। जिला अस्पताल में मानव संसाधन का अभाव व बदइंतजामी बेहतर इलाज की राह में रोड़ा साबित हो रही है। ओपीडी में आने वाले मरीजों को हर रोज परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। पहले ओपीडी फिर दवा काउंटर के आगे घंटों लाइन में लगना पड़ता है, लेकिन अफसोस, मरीजों के इस दर्द …
बरेली, अमृत विचार। जिला अस्पताल में मानव संसाधन का अभाव व बदइंतजामी बेहतर इलाज की राह में रोड़ा साबित हो रही है। ओपीडी में आने वाले मरीजों को हर रोज परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। पहले ओपीडी फिर दवा काउंटर के आगे घंटों लाइन में लगना पड़ता है, लेकिन अफसोस, मरीजों के इस दर्द से जिम्मेदारों को कोई सरोकार नहीं…यही वजह है कि अस्पताल में आने के बाद भी मरीजों का दर्द कम होने की बजाय और बढ़ रहा है।
ओपीडी में रोजाना करीब तीन हजार से अधिक मरीज आते हैं, लेकिन इलाज के लिए डॉक्टरों के 42 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 23 पदों पर तैनाती है। फार्मासिस्ट के 18 पद हैं, मगर महज पांच पर तैनाती है। ऐसे में व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
केस- 1
शहर के रगावपुर निवासी रहिकन को पेट की समस्या थी। मंगलवार को वह सुबह आठ बजे आकर पर्चा काउंटर के सामने लाइन में लग गईं। पर्चा बनवाने के बाद करीब साढ़े आठ बजे वह ओपीडी की लाइन में लगीं, करीब साढ़े नौ बजे फिजिशियन के पास पहुंचीं। यहां से परामर्श के बाद वह दस बजे फार्मेसी विभाग पहुंचीं। जहां लाइन लंबी थी तो करीब साढ़े 11 बजे उन्हें दवा मिल सकी
केस- 2
नरियावल निवासी बिट्टो देवी को सीने में दर्द की समस्या थी। वह साढ़े सात बजे ही अस्पताल पहुंच गईं थी, पर्चा काउंटर के सामने लाइन नहीं थी तो पर्चा बनवाने के बाद वह करीब आठ बजे ओपीडी की लाइन में लग गईं। यहां लंबी लाइन होने के कारण साढ़े नौ बजे डॉक्टर के पास पहुंचीं। दस बजे यहां से वह फार्मेसी विभाग पहुंचीं। यहां एक नंबर काउंटर वाली लाइन में लगीं। दो घंटे का समय गुजरने के बाद उन्हें दवा मिल सकी।
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