बरेली: नालों के किनारों पर सिल्ट निकालकर छोड़ दी जा रही

बरेली: नालों के किनारों पर सिल्ट निकालकर छोड़ दी जा रही

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम का निर्माण विभाग बरसात से पहले नाले की तली झाड़ सफाई करा रहा है। जिस तरह से सफाई कार्य हो रहा है, उससे लग रहा है कि नाला सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। नाले से निकली सिल्ट को सड़क किनारे ही डालकर छोड़ दिया जा रहा …

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम का निर्माण विभाग बरसात से पहले नाले की तली झाड़ सफाई करा रहा है। जिस तरह से सफाई कार्य हो रहा है, उससे लग रहा है कि नाला सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। नाले से निकली सिल्ट को सड़क किनारे ही डालकर छोड़ दिया जा रहा है। ऐसे में यदि बारिश हुई तो यह सिल्ट फिर नाले में चली जाएगी। लोगों को जलभराव की समस्या से जूझना पड़ेगा।
शहर में नाला सफाई ठेकेदारों के जरिये कराई जा रही है। 23 में 16 नालों की सफाई का ठेका हो चुका है। इसमें लगभग 95 लाख रुपया खर्च किया जाएगा। जहां सफाई हो रही है, वहां नाले के किनारे सिल्ट डालकर छोड़ दी जा रही है। नियमानुसार तो उसी दिन सिल्ट उठनी चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो रहा है। ठेकेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
नालों के किनारे गंदगी का ढेर लगता जा रहा है। धीरे-धीरे यह सिल्ट सूखकर फिर से नाले नालियों में ही जा रही है।दरअसल, नाला सफाई का ठेका लेने वाले ठेकेदारों ने कई काम ले रखे हैं। ऐसे में वे एक काम को अधूरा करके आगे बढ़ जाते हैं। कई जगह सिल्ट के ढेर लगे हैं। उन्हें उठाया नहीं जा रहा है।

शहमतगंज पुल के नीचे सफाई के बाद नाली से निकली पाॅलीथिन को दुकानों के आगे लगाकर छोड़ दिया गया है। कुछ ऐसा ही हाल सिकलापुर में दिनेश नर्सिंग होम के सामने हुई नाले की सफाई का है। यहां नाले से निकली सिल्ट घर के सामने लगा दी गई है। तीन दिन से लोग दुर्गंध से परेशान हैं। कूड़ा उठाने कोई नहीं आया है।

जेई अरुण कुमार ने बताया कि यह कार्य ठेकेदार मो. शाकिर मियां द्वारा कराया जा रहा है। सिल्ट नहीं उठाई गई तो शीघ्र उठवाई जाएगी। कूड़ा तुरंत उठना चाहिए। कई जगह यह उठाया भी जा रहा है।

नाले पर बना है गोदाम तो कैसे हो रही सफाई

साहूगोपीनाथ से सिकलापुर जाने वाले मार्ग पर नाले के ऊपर मार्केट बनी है। निगम ने नाला सफाई का जो टेंडर किया, उसमें नाले पर अवैध निर्माण का जिक्र नहीं है। अवैध निर्माण की वजह से नाले की तली झाड़ सफाई कैसे संभव हो सकती है। इस नाले की सफाई कार्य पर 13 लाख 92 हजार 390 रुपए मंजूर हुए है। 30 फीसद पर काम करने का ठेका लिया गया है। चर्चा है कि एक ही ठेकेदार इसी नाले की सफाई काफी समय से करता आ रहा। उसे पता है कहां कितनी सफाई करनी है।

कहां कहां नाले पर अतिक्रमण होने से उसे बचत होगी। पूर्व पार्षद राजेश तिवारी ने आरोप लगाया कि नाला सफाई की आड़ में बड़े धन की बंदरबांट होनी है। अफसर यदि वास्तविक सफाई चाहते हैं तो बारिश के दौरान देखें किन किन नालों का पानी ओवरफ्लो होकर सड़क पर बह रहा है। जहां सफाई नहीं हुई होगी, वहीं पानी आगे नहीं बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि जलभराव होने पर ठेकेदारों का भुगतान रोक दिया जाए तो ठेकेदार भी ईमानदारी से काम करेंगे।

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