बरेली: एफएसडीए के शिविर में पंजीकरण के नाम पर वसूली

बरेली: एफएसडीए के शिविर में पंजीकरण के नाम पर वसूली

अमृत विचार, बरेली। लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग बड़े पैमाने पर छोटे दुकानदारों का विभाग में पंजीकरण करा रहा है। जिसके लिए गली मोहल्लों में जाकर विभाग की टीमें कैंप लगा रही हैं, लेकिन पंजीकरण शुल्क के नाम पर छोटे परचून दुकानदारों से वसूली की …

अमृत विचार, बरेली। लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग बड़े पैमाने पर छोटे दुकानदारों का विभाग में पंजीकरण करा रहा है। जिसके लिए गली मोहल्लों में जाकर विभाग की टीमें कैंप लगा रही हैं, लेकिन पंजीकरण शुल्क के नाम पर छोटे परचून दुकानदारों से वसूली की जा रही है। आरोप है कि पंजीकरण के लिए लोगों से दोगुना शुल्क वसूला जा रहा है। इनमें से अधिकतर दुकानदार घरों में छोटी दुकानें चल रहे हैं।

सोमवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने शहर के ब्रह्मपुरा इलाके में कैंप लगाया। टीम के साथ प्राइवेट कैफे संचालक के दो लोग भी मौजूद थे। सालाना 12 लाख से कम टर्नओवर वाले दुकानदारों का वार्षिक पंजीकरण शुल्क 100 रुपये है। आनलाइन आवेदन करते समय यह शुल्क भरना पड़ता है, मगर कैंप के दौरान गली-मोहल्लों के छोटे दुकानदारों से 200 से 300 रुपये की वसूली की जा रही थी।

मौके पर मौजूद स्थानीय खाद्य सुरक्षा अधिकारी का तर्क था कि 100 रुपये का अतिरिक्त शुल्क इंटरनेट और प्रिंट निकालने के लिए लिया जा रहा है। जब आला अधिकारियों से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने कैफे वाली टीम से खुद को अलग कर लिया। अधिकारियों के मुताबिक विभाग में पंजीकरण का शुल्क 100 रुपये है मगर कोई प्राइवेट व्यक्ति इंटरनेट आदि का शुल्क वसूलता है तो इससे विभाग का कोई मतलब नहीं। इंटरनेट और प्रिंट के लिए अतिरिक्त शुल्क निर्धारित करने की बात पर भी अधिकारी गोलमोल जवाब देते नजर आए।

2200 दुकानदारों का किया पंजीकरण
विभाग की टीमें बड़े स्तर पर यह अभियान चला रही हैं। प्रतिदिन अलग-अलग इलाकों में कैंप लगाया जा रहा है।अधिकारियों के मुताबिक अब तक करीब 2200 छोटे दुकानदारों का पंजीकरण किया जा चुका है। यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।

200 कमाई तो कैसे दें 300 रुपये का शुल्क
घरों में छोटी दुकानें चला रहे कुछ दुकानदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनका तो दिनभर का मुनाफा ही 100 से 200 रुपये होता है। ऐसे में अगर 300 रुपये शुल्क वसूला जाएगा तो उनके ऊपर इसका बोझ पड़ेगा। इनमें से कई दुकानदारों का गुजारा दूसरे कामों से चलता है। कैफे वालों को साथ लेकर चल रही टीम को तो केवल वसूली से मतलब है।

धर्मराज मिश्र, जिला अभिहित अधिकारी-
आनलाइन पंजीकरण का एक साल का शुल्क 100 रुपये है। इंटरनेट कैफे संचालकों से लिए जाने वाले शुल्क से विभाग का कोई मतलब नहीं है। फिलहाल, अभियान चलाकर विभाग की टीमें छोटे दुकानदारों का पंजीकरण कर रही हैं।

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