बरेली: आधुनिकता की चकाचौंध में गुम होने लगे होली के गीत

बरेली: आधुनिकता की चकाचौंध में गुम होने लगे होली के गीत

शेरगढ़, अमृत विचार। लोग होली की तैयारियों में जुटे हैं। कोई सामान की खरीदारी कर रहा है तो कोई घरों की साफ-सफाई और रंगाई पुताई में लगा है। लेकिन इसे समय का बदलाव कहें या आपस में बढ़ती दूरियों का असर कि गांव की गलियों में गूंजने वाले होली के लोकगीतों की परंपरा धीरे-धीरे अब …

शेरगढ़, अमृत विचार। लोग होली की तैयारियों में जुटे हैं। कोई सामान की खरीदारी कर रहा है तो कोई घरों की साफ-सफाई और रंगाई पुताई में लगा है। लेकिन इसे समय का बदलाव कहें या आपस में बढ़ती दूरियों का असर कि गांव की गलियों में गूंजने वाले होली के लोकगीतों की परंपरा धीरे-धीरे अब गायब (लुफ्त) होती जा रही है।

एक एक दौर था जब हाथों में मोरपंखी लेकर ढोल मंजीरा की थाप पर झूमते लोगों को देखने के लिए भीड़ एकत्र हो जाती थी, इतना ही नहीं महिलाओं द्वारा घर-घर टोलियों में गाए जाने वाले मनभावन होली गीत से गांव की गलियां बसंत पंचमी के दिन से ही गुंजायमान होने लगती थीं जो होली तक अनवरत सुनने को मिलती थी। लेकिन अब सब सिमट सा गया है।

गांव वालों की मानें तो बुजुर्गों की कमी के चलते मधुर होली गीत गाने की परंपरा धीरे-धीरे अब प्रभावित हो चली है। वहीं, युवा पीढ़ी इसमें रुचि नहीं ले रही। जिसकी वजह से लंबे समय से होली गीत गाने का प्रचलन सिमटता दिखाई दे रहा है। नगरिया कला गांव के चौधरी जसवंत सिंह बताते हैं कि गांव नगरिया कलां समेत क्षेत्र में होली गीत काफी दिनों पहले से सादगी के साथ गाए जाते थे लेकिन अब आपसी मेल मिलाप एवं सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक पर्व होली भागमभाग भरी व्यस्ततम जिंदगी के बीच पारंपरिक होली गीतों के अभाव में अपनी रंगत खोता जा रहा है।

पुराने बुजुर्ग होली गीत गाने में विशेष भागीदारी निभाते थे अब पहले जैसी होली गीत गाने वाली महान शख्सियतें हमारे बीच नहीं हैं युवा पीढ़ी जिम्मेदारी निभाने में कोई रुचि नहीं दिखा रही है जिसके चलते होली गीतों की पुरानी परंपरा दम तोड़ती जा रही है। ख्यालीराम मौर्य, कस्बा शेरगढ़

महंगाई के दौर में हर कोई अपनीव आजीविका चलाने में व्यस्त है लोगों के पास समय का अभाव है ज्यादातर लोग बाहर जीवन गुजार रहे हैं अब तो बमुश्किल होली के दिन ही होली गीत गाने की औपचारिकता निभाई जाती है।

प्रेम शंकर गंगवार, गांव जगदीशपुर

बीते समय में महिलाएं समूह में एकत्र हो काफी दिन पहले से घरों में होली गीत गाकर खुशियों का इजहार करती थीं लेकिन अब वह नज़ारा देखने को नहीं मिलता पुरानी परंपराओं को जीवंत रखने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना चाहिए।

निशा पाल, सचिव शेरगढ़

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