अल्मोड़ा: स्वीकृति के बाद भी नहीं खुला एआरटीओ दफ्तर
अमृत विचार, अल्मोड़ा। जिले के दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन फिटनेस और अन्य सुविधाएं देने के उद्देश्य से सालों पूर्व रानीखेत में एसआरटीओ कार्यालय स्वीकृत तो हुआ। लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते यह संस्थान आज तक अस्तित्व में नहीं आ पाया है। जिस कारण आज भी दूरदराज के विकास खंडों …
अमृत विचार, अल्मोड़ा। जिले के दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन फिटनेस और अन्य सुविधाएं देने के उद्देश्य से सालों पूर्व रानीखेत में एसआरटीओ कार्यालय स्वीकृत तो हुआ। लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते यह संस्थान आज तक अस्तित्व में नहीं आ पाया है। जिस कारण आज भी दूरदराज के विकास खंडों के लोगों को इन कार्यों के लिए अल्मोड़ा आना पड़ता है।
वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रानीखेत और रामनगर में एआरटीओ कार्यालय खोले जाने का शासनादेश जारी किया था। जिसके बाद यहां उप संभागीय परिवहन अधिकारी की नियुक्ति कर कार्यालय का नंबर भी आवंटित किया गया। लोगों को उम्मीद थी कि कार्यालय खुलने के बाद रानीखेत उपमंडल के छह तहसीलों के लोगों को डीएल और वाहनों से जुड़े अन्य कार्यों के लिए एआरटीओ कार्यालय अल्मोड़ा के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
लेकिन शासनादेश के पांच साल बीत जाने के बाद भी रानीखेत में एआरटीओ कार्यालय नहीं खुल पाया है। जिस कारण अब भी रानीखेत उपमंडल के लोगों को इन कार्यों के लिए अल्मोड़ा के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सल्ट और अन्य तहसीलों से एआरटीओ कार्यालय अल्मोड़ा आने वाले लोगों को आज भी डेढ़ सौ से अधिक किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। सूत्रों की मानें तो अब भी रानीखेत एआरटीओ कार्यालय का संचालन अल्मोड़ा से ही हो रहा है।
कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान यहां एआरटीओ कार्यालय खोले जाने का शासनादेश जारी किया था। लेकिन पांच साल बाद भी इस संस्थान का अस्तित्व में ना आना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले को सदन में उठाया गया है। लेकिन सरकार विपक्ष का विधायक होने के कारण मेरी विधानसभा की लगातार उपेक्षा कर रही है। इस मामले में आंदोलन की रणनीति भी बनाई जा रही है।
करन मेहरा, विधायक, रानीखेत