बरेली: वर्षों से एक ही पटल पर जमे हैं कई लिपिक
बरेली, अमृत विचार। स्वास्थ्य विभाग में लिपिकों की मनमानी के आगे शासनादेश फेल हो गया है। शासन ने तीन साल से पुराने लिपिकों के पटल प्रभार बदले जाने का आदेश जारी किया था, लेकिन यहां करीब 30 कर्मचारियों में से महज कुछ का ही पटल बदल पाया। बाकी वर्षों से एक ही पटल पर जमे …
बरेली, अमृत विचार। स्वास्थ्य विभाग में लिपिकों की मनमानी के आगे शासनादेश फेल हो गया है। शासन ने तीन साल से पुराने लिपिकों के पटल प्रभार बदले जाने का आदेश जारी किया था, लेकिन यहां करीब 30 कर्मचारियों में से महज कुछ का ही पटल बदल पाया। बाकी वर्षों से एक ही पटल पर जमे हुए हैं।
स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण नीति तय की जाती है। बीते वर्ष नई स्थानांतरण नीति बनाई गई थी। शासन स्तर पर अधिकारियों के स्थानांतरण हो गए। कुछ कर्मचारियों का भी स्थानांतरण किया गया। कर्मचारियों के कार्यभार को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा निदेशक ने आदेश जारी किया था इसमें स्पष्ट निर्देश थे कि क्लास-थ्री के जिन कर्मचारियों को एक ही पटल पर तीन वर्ष या इससे अधिक समय हो गया है, उनके पटल में परिवर्तन किया जाए।
इस पर दिखावे की कार्रवाई करते हुए कुछ लिपिकों को सीएचसी-पीएचसी पर तैनात कर दिया। जबकि, सीएमओ के अधीन 30 लिपिक कार्यरत हैं। इनमें से लगभग सभी तीन वर्ष की सीमा में आते हैं। कई लिपिक तो 20 से 22 साल और इससे ऊपर तक की अवधि से एक ही पटल पर काम कर रहे हैं। शासनादेश के बाद कार्यकाल पूरा होने पर सीएमओ बदल गए लेकिन नए सीएमओ भी इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। आज भी पुराने कर्मचारी अपनी मर्जी से पटलों पर काबिज हैं।
जिले में करीब 65 लिपिक तैनात हैं। सीएमओ ऑफिस के प्रधान, वरिष्ठ, सहायक व कनिष्ठ लिपिक सीएचसी-पीएचसी समेत तमाम लेखा, वेतन और झोलाछाप व अन्य प्रशासनिक कार्यों का जिम्मा लिपिकों को दे रखा है। शासन से हुए प्रमोशन और तबादला नीति के बाद भी पदभार न छोड़ने के लिए लिपिकों ने मेडिकल प्रमाण पत्र, अन्य जिलों में तैनाती आदि भी कागजों में दिखा रखा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार करीब 10 लिपिकों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की विभागीय जांच चल रही है जिसमें कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है।
बीते दिनों मुख्यमंत्री कार्यालय में भी हुई शिकायत, जांच ठंडे बस्ते में
मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में एक वरिष्ठ लिपिक 24 साल से तैनात हैं। उनका इतना रसूख है कि तत्कालीन सपा सरकार में अनियमितता के आरोप में निलंबित करने के आदेश तो हुए थे लेकिन अधिकारी न उन्हें पद से हटा सके और न ही निलंबित किया। उनकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में की गई थी।
लखनऊ के ही भाजपा नेता ने अनियमितता की जांच कराने की मांग की थी। भाजपा नेता ने आरोप लगाया था कि लिपिक 1996 से एक ही स्थान पर कार्यरत हैं। तत्कालीन सपा सरकार में अनियमितता के आरोप में निलंबित भी हुए लेकिन उनके निलंबन की फाइल ही दबा दी गई थी। जबकि, तमाम लोगों के तबादले हुए, लेकिन लिपिक अपनी जगह पर बने रहे। आरोप है कि लिपिक सीएमओ कार्यालय में होने वाले तमाम कार्य अपने रिश्तेदारों की फर्म को देते हैं। प्रभारी मंत्री के निरीक्षण में भी लिपिक के कार्यों में तमाम अनियमितता सामने आईं थीं।
इसलिए नहीं छूट रहा कार्यालय का मोह
यहां पदस्थ लिपिकों में से 90 फीसदी सीएमओ कार्यालय में तैनात हैं। इतने वर्षों से एक ही जगह जमे होने के कारण अफसरों और ठेकेदारों से इनकी अच्छी साठगांठ है। सूत्रों के अनुसार कई लिपिक तो ऐसे भी हैं जिनके रिश्तेदार खुद ही विभाग के कामों में लगे हैं। ऐसी स्थिति में यदि उनका ट्रांसफर होता है तो विभागीय साठगांठ होने से ट्रांसफर स्थगित कर दिया जाता है।
जिले में कई वर्षों से काम कर रहे वरिष्ठ, कनिष्ठ व सहायक लिपिकों की तैनाती समय-समय पर नियमानुसार पटल परिवर्तित कर की जाती है। कुछ दिनों पहले ही पटलों में फेरबदल किया गया है। सुचारू ढंग से कार्य संचालन को लेकर भी निर्देशित किया गया है। -डा. एसके गर्ग, सीएमओ