रिवर फ्रंट घोटाला: सीबीआई यूपी समेत इन 7 राज्यों में भी कर रही हैं जांच, इन आरोपियों के घर पड़ा छापा

लखनऊ। सपा सरकार में गोमती नगर स्थित गोमती नदी किनारे बनाये गये रिवरफ्रंट घोटाले में 190 आरोपियों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दर्ज कर ली हैं। जिसके बाद सोमवार को सीबीआई की टीमों ने यूपी के 14 जिलों समेत तीन अन्य राज्यो में छापेमारी की है। रिवरफ्रंट के निर्माण में 1800 …
लखनऊ। सपा सरकार में गोमती नगर स्थित गोमती नदी किनारे बनाये गये रिवरफ्रंट घोटाले में 190 आरोपियों के खिलाफ दूसरी प्राथमिकी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दर्ज कर ली हैं। जिसके बाद सोमवार को सीबीआई की टीमों ने यूपी के 14 जिलों समेत तीन अन्य राज्यो में छापेमारी की है। रिवरफ्रंट के निर्माण में 1800 से अधिक करोड़ का घोटाला बताया जा रहा है। सोमवार को सीबीआई की 40 टीमों ने लखनऊ, गाजियाबाद और देहरादून सहित 17 जिलों व शहरों में छापेमारी की है। सीबीआई ने लखनऊ के साथ गाजियाबाद बरेली गौतमबुद्धनगर सीतापुर बुलंदशहर आगरा रायबरेली इटावा तथा पश्चिम बंगाल और राजस्थान के कई जिलों में छापा मारा है।
इस दौरान सीबीआई ने इस प्रोजेक्ट से संबंधित 407 करोड़ रुपये के विभिन्न कार्यों के कार्यान्वयन में अनियमितता के आरोप में 16 लोक सेवकों और 173 निजी व्यक्तियों, फर्मों, कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दरअसल सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब दर्जनों लोगों के खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज की थी। तब से रिवरफ्रंट घोटाले के आरोप समाजवादी पार्टी सरकार पर लगते रहे हैं। रिवरफ्रंट सपा सरकार में गोमती नदी के किनारे बनवाया गया था जिसका सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रचार करते रहे हैं। प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार आने पर मामले की जांच की बात कही गई थी जिसके बाद से कई अफसरों के खिलाफ अब तक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। मामले में अब फिर से छापेमारी का दौर शुरू हो चुका है।
1800 से अधिक है घोटाला
करीब 1800 से अधिक करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच कर रहा है। राज्य सरकार ने चार साल पहले घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी। उससे पहले अप्रैल 2017 में प्रदेश सरकार ने रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे।
निविदा के बिना ही दिए आर्डर
शुरुआती जांच में पता चला है कि एक-एक लाख रूपये से अधिक के 27 कार्य आदेश, निविदा निकाले बगैर ही दे दिए गए। यह सरकार के आदेश का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है कि एक लाख रूपये से अधिक का कोई भी ऑर्डर निविदा के बगैर नहीं दिया जा सकता। फ्रांस से 55.95 लाख यूरो (वर्तमान में करीब 49.3 करोड़ रूपये) से अधिक कीमत पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के म्यूजिकल फाउंटेन का आयात करने का मामला भी इसमें शामिल है।
इंजीनियरो पर ये हैं आरोप
इस घोटाले में इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को काम देने, विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है।
इन इंजीनियरों के खिलाफ जारी है जांच
इस मामले में आठ इंजीनियर्स के खिलाफ पुलिस के साथ सीबीआइ व ईडी केस दर्ज कर जांच कर रही हैं। इसमें तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव शामिल हैं। यह सभी सिंचाई विभाग के इंजीनियर हैं, जिनके खिलाफ जांच चल रही है।
2017 में दर्ज हुआ था लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में केस
घोटाले के मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाने में आठ लोगों के खिलाफ अपराधिक केस दर्ज किया गया था। इसके बाद नवंबर 2017 में ईओडब्ल्यू उत्तर प्रदेश ने भी जांच शुरू कर दी थी। दिसंबर 2017 में मामले की जांच सीबीआइ के पास चली गई और जांच एजेंसी ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। दिसंबर 2017 में ही आइआइटी की टेक्निकल टीम ने भी जांच की। इसके बाद सीबीआइ की जांच को आधार बनाते हुए मामले में ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया।
यूपी में इन आरोपियों के घर पड़ा छापा
- तत्कालीन अधीक्षक जीवन राम यादव
- तत्कालीन अधीक्षक सुरेंद्र कुमार पाल।
- तत्कालीन अधीक्षक श्री कमलेश्वर सिंह
- मोहम्मद आसिफ खां का आवासीय/आधिकारिक परिसर।
- मोहन गुप्ता, निदेशक मैसर्स हाईटेक सक्षम बिल्डर्स
- अंगेश कुमार सिंह, प्रबंध निदेशक,
- सत्येंद्र त्यागी, प्रोपराइटर, मेसर्स ग्रीन डेकोर का आवासीय
- विक्रम अग्रवाल का परिसर, मैसर्स एवीएस इंटरप्राइजेज
- अखिलेश कुमार सिंह का आवासीय/आधिकारिक परिसर
- अखिलेश कुमार सिंह, मैसर्स रिशु के मालिक निर्माण अनमोल एसोसिएट्स
- नितिन गुप्ता, मैसर्स अन्नपुमा ट्रेडिंग कंपनी
- शिव मंगल यादव, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता
- तत्कालीन अधीक्षक रूप सिंह यादव का आवासीय परिसर
- तत्कालीन अधीक्षक रूप सिंह यादव का आवासीय परिसर
- सिद्ध नारायण शर्मा, तत्कालीन मुख्य अभियंता,
- तत्कालीन अधीक्षक अखिल रमन का आवासीय परिसर
- ओम वर्मा, तत्कालीन मुख्य अभियंता
- काजिम अली, तत्कालीन मुख्य अभियंता
यह घोटाला पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार की हरकतों को जाहिर कर रहा है। “हमने सीबीआई से पहले भी अनुरोध किया है कि ऐसे घोटालों की जांच तेजी से की जाए- सिदार्थ नाथ सिंह कैबिनेट मंत्री