बरेली: तीन माह से बच्चों को नहीं मिल पाया है मिड डे मील

बरेली, अमृत विचार। कोरोना संक्रमण काल में लाकडाउन के कारण स्कूल बंद कर दिए गए थे। जिससे बेसिक स्कूल में पढ़ रहे छात्र- छात्राओं को मिड डे मील नहीं मिल पाया था। इसलिए सरकार ने लाकडाउन अवधि और गर्मी की छुट्टियों के मिड डे मील का राशन लागत की धनराशि बच्चों के खाते में देने …
बरेली, अमृत विचार। कोरोना संक्रमण काल में लाकडाउन के कारण स्कूल बंद कर दिए गए थे। जिससे बेसिक स्कूल में पढ़ रहे छात्र- छात्राओं को मिड डे मील नहीं मिल पाया था। इसलिए सरकार ने लाकडाउन अवधि और गर्मी की छुट्टियों के मिड डे मील का राशन लागत की धनराशि बच्चों के खाते में देने का फैसला किया था।
इससे पहले सरकार ने मार्च से 31 अगस्त, 2020 तक दो चरणों में 76 व 49 दिनों का मिड डे मील भत्ता व अनाज दो चरणों में पहले ही दिया जा चुका है। उसके बाद सरकार ने सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए सितंबर से फरवरी तक का मिड डे मील भत्ता जारी कर दिया था जो सभी स्कूलों के खातों में पहुंच चुका है। कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थियों के लिए 923 रुपए और कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों को 685 रुपए दिया जा रहा है।
उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को 124 दिन का भत्ता एक सितंबर, 2020 से नौ फरवरी, 2021 तक दिया जा रहा है। प्राथमिक विद्यालय के विद्यार्थियों को 138 दिन का भत्ता एक सितम्बर, 2020 से 28 फरवरी तक का दिया जा रहा है। कक्षा छह से आठ तक के स्कूल 10 फरवरी और कक्षा एक से पांच तक के स्कूल एक मार्च से खोल दिए गए थे। इसलिए सरकार ने उस भत्ते पर रोक लगाते हुए उस धनराशि का इस्तेमाल मिड डे मील बनाने के लिए किया गया था।
स्कूलों के बंद होने के कारण मिड डे मील का सभी स्कूलों में वितरण नहीं हो पाया है। अध्यापक द्वारा प्राधिकार पत्र छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को दिया जा रहा है। जिससे उसे कोटेदार को दिखाने के बाद राशन दिया जाएगा। मिड डे मील को बनानें में खर्च होने वाले रुपए को बच्चों के खातों में भेजा जाएगा।
- प्राथमिक विद्यालय के प्रत्येक बच्चे को 9.2 किलो. चावल, 4.6 किलो. गेंहू
- उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रत्येक बच्चे को 12.4 किलो चावल, 6.2 किलो गेंहू