यूपी: कोविड राहत पैकेज देने के मूड में नहीं हैं बिजली कंपनियां, जानिए क्या है ये पूरा मामला

यूपी: कोविड राहत पैकेज देने के मूड में नहीं हैं बिजली कंपनियां, जानिए क्या है ये पूरा मामला

अमित सिंह लखनऊ। बिजली कंपनियां नियामक आयोग द्वारा बिजली दरों में कोविड राहत पैकेज देने के प्रस्ताव का जवाब अभी तक नहीं दे सकी हैं। जबकि आयोग ने इस प्रस्ताव के संबंध में सात दिनों के अंदर जवाब मांगा था, जो कि 15 दिन बीत गए हैं। लेकिन कंपनियां अभी तक न तो जवाब दे …

अमित सिंह
लखनऊ। बिजली कंपनियां नियामक आयोग द्वारा बिजली दरों में कोविड राहत पैकेज देने के प्रस्ताव का जवाब अभी तक नहीं दे सकी हैं। जबकि आयोग ने इस प्रस्ताव के संबंध में सात दिनों के अंदर जवाब मांगा था, जो कि 15 दिन बीत गए हैं। लेकिन कंपनियां अभी तक न तो जवाब दे सकी हैं और न ही उनकी जवाब देने के प्रति तैयारी दिख रही है।

वहीं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पॉवर कार्पोरेशन और कंपनियों के पास इस प्रस्ताव का कोई जवाब नहीं है, जिस वजह से उनके पसीने छूट रहे हैं। परिषद ने कहा कि ऐसा नहीं है कोरोना काल में उपभोक्ताओं को राहत नहीं दी जा सकती हैं। नियमों को बनाकर उपभोक्ताओं को राहत दी जा सकती है।

15 दिन बाद भी बिजली कम्पनियां नहीं दे पाई जबाब

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर लगभग 19537 करोड़ रुपया निकल रहा है, जिसके एवज में परिषद ने बिजली दरों में कमी कराने के लिए कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल किया है और सुनवाई में उस पर लम्बी चर्चा भी आयोग में हुई है। जिस पर विद्युत नियामक आयोग ने 21 मई को सात दिन में पावर कार्पोरेशन से उनका जबाब और मत मांगा है। 15 दिन हो जाने के बाद भी बिजली कम्पनियां जबाब नहीं दे पाई हैं।

परिषद ने कहा कि अभी भी समय है कि सरकार बिजली कंपनियों को यह निर्देश दे कि कोविड संकट राहत टैरिफ प्रस्ताव के बारे में विचार कर उपभोक्ताओं को सहूलियत दे। परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं की बिजली दरों की बात करे तो देश में पांच राज्य जहां पर बिजली दरें बहुत ज्यादा हैं तो उसमे यूपी भी शामिल है।

कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव को लागू करने की मांग

ऐसे में प्रदेश को टॉप फाइव महंगी बिजली दर वाले प्रदेश से हटाकर सस्ती बिजली देने वाले प्रदेश में शामिल करने के लिए कोविड राहत टैरिफ प्रस्ताव को लागू करना चाहिए। आज प्रदेश में महंगी बिजली के चलते उपभोक्ताओं की प्रति व्यक्ति खपत कम है। देश के उत्तरी व पश्चिमी रीजन के ग्रिड पर जुड़े 14 राज्यों में यूपी में प्रति व्यक्ति खपत सबसे कम हैं ऐसे में यदि दरों में कमी न की गयी तो यह और भी निचले स्तर पर आयेगी।

भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 1208 है

उ.प्र. देश का ऐसा राज्य है जहां पर पिछले तीन वर्षो से प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में कोई सुधार नहीं हो रहा, जिसका मुख्य कारण है कि बिजली दरों में व्यापक स्तर पर बढ़ोतरी। वर्ष 2017-18 में जहां प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 628 थी। वहीं वह वर्ष 2018 -19 में घटकर 606 हो गयी और अब वर्ष 2019-20 में मात्र प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 629 है जो बहुत ही खराब स्थित में है।

वर्ष 2018- 19 में प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली दरो में बढ़ोतरी हुई थी जिसके चलते प्रति व्यक्त ऊर्जा खपत कम हो गयी। वर्ष 2019-20 में सम्पूर्ण भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 1208 है। यदि उपभोक्ता परिषद के प्रस्ताव को नियामक आयोग लागू करता है तो निश्चित ही प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 1000 से ऊपर पहुंच जाएगी, जिससे ऊर्जा क्षेत्र का बड़ा विकास होना तय है।