बरेली: खुले स्कूल, पहले दिन लगी मस्ती की ‘पाठशाला’

अमृत विचार, बरेली। एक वर्ष बाद सोमवार से कक्षा एक से पांच तक के स्कूलों को खोला गया। पहले दिन स्कूलों को गुब्बारों से सजाया गया। स्कूल पहुंचने वाले सभी बच्चों को स्वागत किया गया। कई स्कूलों ने तो बच्चों को तिलक लगाकर बुके देने के बाद स्कूल में प्रवेश कराया। शासन के निर्देशानुसार एक …
अमृत विचार, बरेली। एक वर्ष बाद सोमवार से कक्षा एक से पांच तक के स्कूलों को खोला गया। पहले दिन स्कूलों को गुब्बारों से सजाया गया। स्कूल पहुंचने वाले सभी बच्चों को स्वागत किया गया। कई स्कूलों ने तो बच्चों को तिलक लगाकर बुके देने के बाद स्कूल में प्रवेश कराया।
शासन के निर्देशानुसार एक साथ पढ़ाई पर जोर न देकर पहले दिन बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया गया। उन्हें खाने में मिड-डे-मील मैन्यू के अनुसार ही खाना दिया गया। पहले दिन पाठशाला में बच्चों ने जमकर मस्ती की। लाकडाउन की वजह से पिछले वर्ष मार्च में ही स्कूल बंद कर दिए गए थे। एक वर्ष तक टीवी चैनल, ऑनलाइन, वर्कशीट आदि से पढ़ाई के बाद सोमवार से बच्चों के लिए स्कूल खोले गए। पहले दिन जब स्कूल खुले तो पुराने साथियों से मिलकर बच्चों के चेहरे खिल उठे।
एक-दूसरे को देख खुशी के मारे खिलखिला उठे। बच्चों पर एक साथ पढ़ाई का दबाव नहीं बनाया गया। पहले दिन केवल उन्हें पुराने दोस्तों से मिलने का मौका और खेल-खेल में पुरानी बातों को याद कराया गया। साथ ही बच्चों को कोरोना के बारे में भी जानकारी दी गई कि आखिर पूरे एक वर्ष के लिए स्कूल क्यों बंद किए गए थे। इसे बंद करने का मकसद क्या था। कुछ प्रेरक कहानियों को भी सुनाया गया। उन्हें तरह तरह की बातें बताकर स्कूल आने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही जो बच्चे पहले दिन स्कूल नहीं पहुंच पाए शिक्षकों ने उन्हें स्कूल खुलने की जानकारी देने के साथ ही स्कूल आने की अपील भी की।
रोस्टर के हिसाब से बुलाए गए थे बच्चे
शासन के आदेशानुसार स्कूलों में बच्चों को रोस्टर के हिसाब से ही बुलाया गया। सोमवार और गुरुवार को कक्षा एक और पांच, मंगलवार और शुक्रवार को कक्षा दो और चार व बुधवार और शनिवार को कक्षा तीन के बच्चों को ही स्कूल में बुलाया जा रहा है। पहले दिन स्कूल खुलने पर भी बच्चों को इसी तरह से बुलाया गया।
छुट्टी के बाद जाम में फंसे बच्चे, गड्डों से होकर गुजरना पड़ा
बरेली। स्कूलों में पहुंचने पर तो बच्चों को राहत मिली मगर शहर की खुदी सड़कों और उड़ती धूल ने बच्चों का सांस लेना तक मुश्किल कर दिया। स्कूलों की छुट्टी के बाद आस-पास के इलाकों में जाम लग गया। एक तरफ तेज धूप में पसीना तो दूसरी तरफ उड़ती धूल से बच्चों की हालत खराब हो रही थी। वहीं, पूरे शहर में खुदी पड़ी सड़कों ने भी बच्चों का निलकना मुश्किल कर दिया। शहर के तमाम स्कूल ऐसे थे जहां तक पहुंचने के लिए बच्चों को खुदी सड़कों से ही गुजरना पड़ा। उनके पास दूसरा रास्ता नहीं था।