लखीमपुर खीरी : शाम होते ही कई रूट पर बंद हो जाता है रोडवेज बस संचालन
शाहजहांपुर और पीलीभीत जाने के लिए नहीं मिलतीं बसें

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। जिले वासियों को बेहतर परिवहन सुविधा न मिलने का मलाल आज भी है। यह स्थिति तब है, जब जिले में परिवहन निगम के दो डिपो हैं। इसके बावजूद शाम ढलते ही जनपद के कई रूटों पर बसों के पहिए थम जाते हैं। ऐसे में लोग अधिक किराया देकर निजी वाहनों से जान जोखिम में डालकर यात्रा कर दुश्वारियां झेलते हैं। आलम यह है कि सूरज ढलते ही शाहजहांपुर और पीलीभीत के लिए बसें नहीं मिलतीं।
परिवहन निगम के जिले में दो डिपो हैं, एक जिला मुख्यालय लखीमपुर में, जिसमें करीब 85 अनुबंधित बस हैं। वहीं दूसरा छोटी काशी गोला में, जिसमें 133 बसें हैं। इनमें निगम की 105 और अनुबंधित 28 बसें हैं। कुल मिलाकर दोनों डिपो में बसों की संख्या 218 के करीब है। बावजूद इसके न तो शाम को गोला से लखीमपुर, लखनऊ से लेकर पीलीभीत आदि के लिए बस मिलती हैं और न ही लखीमपुर से शाजहांपुर, पीलीभीत के लिए। यहां तक कि 35 किलोमीटर दूर गोला डिपो तक के लिए बस नहीं हैं। ऐसे में लोगों को आवागमन में असुविधा होती है।
डग्गामार वाहनों से सफर करने को मजबूर यात्री
शाम होते ही बसों का संचालन बंद होने से डग्गामार वाहन चालक सक्रिय हो जाते हैं। बस अड्डे से लेकर एलआरपी चौकी पर मौजूद चालक वाहनों से किराया तय कर शाहजहांपुर, लखनऊ,पीलीभीत यहां तक बरेली तक छोड़कर आते हैं।
बसों के फेरे बढ़ाने से खत्म हो सकती है समस्या
गोला डिपो से सुबह सात, नौ व 10 के बाद 11:30 एवं 12 बजे बंडा होकर बरेली के लिए बसें हैं। इन्हें आने जाने में छह से सात घंटे लगते हैं। डिपो के लोग बताते हैं कि जो बस 10 बजे बरेली जाती हैं वह 242 किलोमीटर चलकर शाम पांच वापस आकर खड़ी हो जाती है, जबकि इन बसों का संचालन लखीमपुर होकर हो सकता है। इससे जहां लखीमपुर से बरेली जुड़ जाएगा, जिसका फायदा लखीमपुर वासियों को मिलेगा। लखीमपुर के यात्री कम किराए और कम समय में बरेली आ जा सकेगें। लखीमपुर से बरेली वाया शाहजहांपुर होकर जाना बंडा होकर जाने से काफी सस्ता है। इसमें समय भी कम लगता है।
यात्रियों के लिए मुसीबत बन रही हैं उधार की बसें
लखीमपुर डिपो अब तक अनुबंधित बसों के सहारे संचालित हो रहा है। डिपो से करीब 85 बसों का अनुबंध है। डिपो के लोग बताते हैं कि बसों का अनुबंध होने के समय बस मालिक निगम शर्तों का अक्षरश: पालन करने का शपथ पत्र देते हैं। मगर, बाद में निर्धारित रूट पर अतिरिक्त संचालन को लेकर आनाकानी करते हैं। कभी चालक नहीं है या फिर चालक की तबियत खराब होना बताते हैं तो कभी बस में तकनीक दिक्कत आना बता देते हैं। डिपो के जिम्मेदारों का कहना है कि निगम की बसों से लेकर डिपो में तैनात चालकों पर जोर रहता है। मगर, अनुबंधित बसों के चालकों पर हमारा कोई जोर नहीं रहता है। वह बस मालिक के कहने पर चलते हैं।
निगम की बसें मिलने के बाद खत्म होगी दिक्कत
डिपो के लोग बताते हैं कि जिला मुख्यालय से बेहतर आवागमन के लिए बसें तभी उपलब्ध हो सकेंगी, जब डिपो के पास निगम की बसें होगीं। जब तक वर्कशॉप के लिए जमीन नहीं मिलती है तब तक निगम की बसें मिलना नामुमकिन है। जनपद वासियों को ऐसे ही दिक्कत उठानी होगी।
लखीमपुर डिपो से अंतिम बस सेवा
लखीमपुर डिपो की लखनऊ जाने के लिए अंतिम बस रात 8 बजे, धौरहरा के लिए शाम 5 बजे, खमरिया के लिए रात 7:30 बजे, गोला के लिए शाम 6:30 बजे है। इसके अलावा गोला डिपो की एसी बस रात 8 बजे गोला से होकर शाहजहांपुर, बरेली और दिल्ली जाती है। इसी तरह रात 8:00 बजे पिथौरागढ़ डिपो की बस पीलीभीत, टनकपुर होकर पिथौरागढ़ तक जाती है। सीतापुर डिपो की बस रात 7:30 बजे से गोला से पीलीभीत होकर बरेली व दिल्ली जाती है।
डिपो तक नहीं आती बाईपास से निकलने वाली बसें
अन्य डिपो की तमाम बसे जिला मुख्यालय होकर बरेली, दिल्ली से लेकर लखनऊ, गोंडा, बहराइच आदि के लिए निकलती हैं। मगर, इनमें से एक भी बस डिपो तक नहीं आती है। वहीं लंबी दूरी बसों के चालक परिचालक गोला, खमरिया, खुटार मोहम्मदी आदि की सवारियों को बैठाने से भी मना कर देते हैं। यही वजह है कि यात्री डग्गामार वाहनों का सहारा लेते हैं।
लखीमपुर डिपो की इन रूटों पर नहीं है कोई बस
पलिया, निघासन, तिकुनिया, पीलीभीत, बहराइच, गौरीफंटा, हरदोई।
डिपो में सिर्फ अनुबंधित बसें हैं। वर्कशाप न होने से निगम की बसें नहीं मिल रही हैं। हालांकि बस अड्डा के लिए जमीन देख ली गई है तो वहीं वर्कशाप के लिए तलाशी जा रही है। निगम की बसें मिलते ही यात्रियों की समस्याओं का निराकरण हो जाएगा। -नफासत अली, केंद्र प्रभारी लखीमपुर डिपो
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