नगर निगम में भवनों के गृहकर निर्धारण में खेल, अधिकारियों की मनमानी बढ़ा रहा जनता और व्यापारी की परेशान

नगर निगम में भवनों के गृहकर निर्धारण में खेल, अधिकारियों की मनमानी बढ़ा रहा जनता और व्यापारी की परेशान

लखनऊ, अमृत विचार: व्यावसायिक भवनों का गृहकर निर्धारण करने में जोनल कार्यालयों में खेल किया जा रहा है। पहले गृहकर लाखों रुपये बढ़ाकर बिल भेजा जाता है ओर जब सुधार के लिए भवन स्वामी कार्यालय पहुंचता है तो उसे चक्कर लगवाए जाते हैं। परेशान करने के बाद उससे बिल कम करने के लिए डीलिंग शुरू की जाती है। जो सुविधा शुल्क देता है उसका बिल आधे से भी कम हो जाता है और सुविधा शुल्क नहीं दिया तो कार्रवाई का दबाव बनाकर परेशान किया जाता है। नगर निगम के अधिकारियों की इस मनमानी से जनता और व्यापारी वर्ग दोनों परेशान हैं।

केस - 1

हाल ही में जोन दो के ऐशबाग वार्ड में व्यापारी अनुज गुप्ता महेश को जोनल कार्यालय के अधिकारियों ने वित्तीय वर्ष 2024-25 तक गृहकर जमा होने के बाद भी 1.80 लाख रुपये का बिल भेज दिया। 10 वर्ष पहले से बढ़ा गृहकर भेज दिया। वसूली करने गए राजस्व निरीक्षक के साथ व्यापारियों और पूर्व पार्षद का विवाद भी हो गया। बात एफआईआर तक पहुंच गई। निरीक्षक के खिलाफ व्यापारी और पार्षदों ने महापौर सुषमा खर्कवाल से शिकायत की तो नगर निगम बैकफुट पर आ गया।

केस - 2

शिकायत करना भाजपा नेता पर पड़ा भारी, बढ़ा दिया हाउस टैक्स
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य एवं व्यापारी गौरव माहेश्वरी ने गृहकर निर्धारण में गड़बड़ी की मुख्यमंत्री से की थी। इसके बाद नगर निगम ने उन्हें बकाए का नोटिस भेज दिया। उन्होंने नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह से शिकायत की। बताया कि लगातार हाउस टैक्स जमा कर रहे हैं। इसके बाद भी जोन-2 के अधिकारियों ने हाउस टैक्स दोगुना कर लगभग 75,000 रुपये बकाए का बिल भेज दिया। माहेश्वरी ने बताया कि 25 अक्टूबर 2024 को जोन-2 ने स्टेशनरी कारोबारी महेंद्र कौर को लगभग 21 लाख रुपये का बकाया नोटिस भेजा था। कारोबारी की आपत्ति पर इसे घटाकर 14 लाख रुपये कर दिया। उनका आरोप है कि इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर उनके मकान का टैक्स बढ़ा दिया गया।

नगर निगम जोन दो में मनमाने तरीके से भवन स्वामियों को हाउस टैक्स भेजा जा रहा है। नियमित भुगतान करने के बाद भी 10 साल पहले से भवन का टैक्स बढ़ाकर भेज दिया गया। जबकि नियमानुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष से दो वर्ष पहले तक का ही बिल बढ़ाकर भेजा जा सकता है।

साकेत शर्मा, पूर्व पार्षद, ऐशबाग वार्ड

यह भी पढ़ेः बाघ के डर से बोर्ड परीक्षा केंद्रों के बाहर बढ़ाई गई सुरक्षा, रहमान खेड़ा जंगल को छोड़ कर चला गया Tiger