Rehmankheda : 85 दिनों से बाघ वन्यकर्मियों से खेल रहा लुकाछिपी, 23 वां शिकार करने के बाद वन्यजीव फिर से लापता

Malihabad, Amrit Vichar : बीते 85 दिनों रहमानखेड़ा जंगल और उसके आसपास गांव में दहशत का पर्याप्य बने बाघ की वनकर्मियों के साथ लुकाछिपी जारी है। 23वां शिकार करने के बाद बाघ फिर से लापता हो गया। गुरुवार को वन्यकर्मियों ने बाघ को तलाशने के लिए पुराना जंगल खंगाल डाला। बावजूद इसके बाघ का कहीं नामोनिशान नहीं मिला। थक हार कर वनकर्मियों ने बाघ प्रभावित गांवों में मुनादी पीटकर ग्रामीणों को सर्तकता बतरने का आग्रह किया है।
गौरतलब है कि 23 फरवरी की रात बाघ ने कृषि फार्म के जोन-एक में पड़वे का 23वां शिकार किया था। इसके बाद से बाघ ने वनविभाग को चकमा देकर अपना ठिकाना बदल लिया। हालांकि, वन्यकर्मी बाघ के लौटने का इंतजार करते रहे, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आया। डीएफओ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि गुरूवार को वनविभाग की टीम टीम ने कैमरा ट्रैप का विश्लेषण कर तीनों जोन में रैकिंग की, लेकिन बाघ के पगमार्क नहीं मिले। जिसके बाद विशेषज्ञों और एक्सपर्ट टीम ने हथिनियां सुलोचना और डायना की मदद से रहमानखेड़ा जंगल के तीनों जोनों में कांबिंग की और थर्मल ड्रोन से मॉनीटिरिंग की। फिर भी बाघ का ठिकाना नहीं मिला।
डीएफओ ने बताया कि कांबिग का सिलासिला बदस्तूर जारी है। खासतौर बाघ प्रभावित गांव जोन-दो समीप मीठेनगर और जोन-तीन के उलरापुर के जंगल पर निगरानी रखी जा रही है। इसके साथ ही जंगल से सटे गावों में मुनादी पीटकर ग्रामीणों को अकेले घर से बाहर न निकलने की अपील की गई है। बताया कि बाघ ने अभी तक सिर्फ रहमानखेड़ा संस्थान और मीठेनगर के आसपास के जंगल में शिकार किए हैं। वह जोन तीन के तौर पर घोषित उलरापुर गांव के आसपास के जंगल में सिर्फ घूमता है, लेकिन शिकार के लिए संस्थान और मीठेनगर के आसपास का इलाका चुनता है। ऐसे में मीठेनगर में पिंजरों की लोकेशन भी बदली गई है।
रेस्क्यू के लिए ऐसे बनाए हैं 3 जोन
जोन-1: रहमानखेड़ा संस्थान के अंदर का इलाका।
जोन-2: मीठेनगर के तरफ जंगल का इलाका।
जोन-3: उलरापुर गांव के आसपास का जंगल।
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