संपादकीय: देश के सांस्कृतिक दूत

संपादकीय: देश के सांस्कृतिक दूत

भारत हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। भारत ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती से उठा रहा है और वैश्विक मंचों पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दुनिया की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी से लेकर अनेक देश के कानून और अर्थव्यवस्था में निर्णय लेने वाली संस्थाओं का प्रमुख हिस्सा बनने में भारतीय कामयाब रहे हैं। कहा जा सकता है कि वैश्विक युग में प्रवासी भारतीयों की भूमिका और महत्व हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में कहा कि प्रवासी भारतीय भारत के सच्चे सांस्कृतिक दूत हैं। वे जिस भी देश में जाते हैं, वहां भारतीय संस्कृति और मूल्यों को जीवंत बनाए रखते हैं। वास्तव में प्रवासी भारतीयों की सफलता के कारण भारत आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, उन्होंने वैश्विक स्तर पर सूचना तकनीक के क्षेत्र में क्रांति में अहम भूमिका निभाई है। 

प्रवासी भारतीयों की सफलता का श्रेय उनकी परंपरागत सोच, सांस्कृतिक मूल्यों और शैक्षणिक योग्यता को दिया जा सकता है। दुनियाभर में सबसे ज्यादा रेमिटेंस भारत को ही मिलता है। रेमिटेंस से छोटे कारोबार और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलता है। कुल मिलाकर वे भारत के लिए एक रणनीतिक संपत्ति है। खाड़ी देशों में लगभग 8.5 मिलियन भारतीय रहते हैं, जो दुनिया में प्रवासियों का सबसे बड़ा संकेंद्रण है। खाड़ी देशों के साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, मलेशिया, मॉरीशस, श्रीलंका, सिंगापुर, नेपाल जैसे देशों में प्रवासी भारतीयों की बड़ी आबादी रहती है। 

पिछले एक दशक में भारत ने प्रवासी भारतीयों का बड़े स्तर पर समर्थन हासिल किया है और उसके परिणाम संतोषजनक रहे हैं। इस दिशा में महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री या सरकार का कोई भी प्रतिनिधि यदि विदेश दौरे पर जाता है, तो वह उस देश में रह रहे प्रवासी भारतीयों के बीच अवश्य जाते हैं। इससे प्रवासी भारतीयों के मन में अपनेपन की भावना जन्म लेती है और वे भारत की ओर आकर्षित होते हैं। 

ध्यान देने वाली बात है कि प्रवासी भारतीयों के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता एक वास्तविकता बन सकती है। 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार को विदेश नीति का निर्धारण करते समय स्वच्छ भारत, स्वच्छ गंगा, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसी प्रमुख परियोजनाओं के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए इन क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

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