Prayagraj News : आयोग अभ्यर्थियों के पसंदीदा कॉलेजों में नियुक्ति देने के लिए बाध्य नहीं

Prayagraj News : आयोग अभ्यर्थियों के पसंदीदा कॉलेजों में नियुक्ति देने के लिए बाध्य नहीं

प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक प्रोफेसर के पद पर आवेदन करने वाले एक अभ्यर्थी द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एक अभ्यर्थी जो भर्ती प्रक्रिया में चयनित हो चुका है और जिसका नाम चयन सूची में अंकित है, वह अपनी पसंद का पद आवंटित किए जाने के लिए किसी भी अपरिहार्य या निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।

यह कानूनी रूप से स्थापित है कि किसी उम्मीदवार का नाम चयन सूची में शामिल होने या रिक्तियों में होने मात्र से उसे नियुक्ति का अधिकार नहीं मिल जाता और इसके संबंध में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए कोई परमादेश भी जारी नहीं किया जा सकता। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति डॉ.योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ सुधांशु अग्रवाल द्वारा दाखिल अंतर-न्यायालय अपील को खारिज करते हुए पारित किया। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अपीलकर्ता एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में कोई भौतिक त्रुटि या अवैधता इंगित करने में सक्षम नहीं हो सका, जो कि कोर्ट को मामले में एक अलग दृष्टिकोण अपनाने के लिए राजी कर सके।

याचिका में विपक्षियों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि याची को सतीश चंद्र कॉलेज, बलिया के बजाय हिंदू कॉलेज, मुरादाबाद या केजीकेपीजी कॉलेज, मुरादाबाद में गणित के सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए विकल्प दिया जाए। मालूम हो कि गैर-सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया एक विज्ञापन के अनुसार शुरू की गई थी, जिसमें गणित विषय के 96 पद शामिल थे। चयन प्रक्रिया के पश्चात याची ने 30 महाविद्यालयों की अपनी वरीयता सूची प्रस्तुत की, जिसमें क्रम संख्या 28 पर सतीश चन्द्र महाविद्यालय, बलिया का उल्लेख था। शिक्षा निदेशक (उच्च शिक्षा) ने प्रबंधक सतीश चन्द्र महाविद्यालय, बलिया को पत्र लिखकर याची के नाम की संस्तुति उस महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हेतु की। याची के अनुसार उसे उसके द्वारा प्रस्तुत वरीयता सूची के क्रमांक 1 से 27 में निर्दिष्ट किसी भी संस्थान में नियुक्ति मिलनी चाहिए थी। हालांकि विपक्षियों के अनुसार उक्त संस्थानों में से किसी में भी कोई रिक्ति मौजूद नहीं थी।

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग अधिनियम, 1980 की धारा 12 के तहत निर्धारित शर्तें अभ्यर्थियों को अपने आवेदन में वरीयता क्रम के अनुसार कॉलेजों का विकल्प दर्शाने का विकल्प देती है, लेकिन आयोग अभ्यर्थियों द्वारा दी गई पसंद से बाध्य नहीं है तथा वह अपने विवेकानुसार, विकल्पों के अलावा अन्य कॉलेजों में नियुक्ति के लिए सिफारिश कर सकता है। कोर्ट ने पाया कि हिंदू कॉलेज, मुरादाबाद और केजीकेपीजी कॉलेज, मुरादाबाद नामक कॉलेजों में याची ने नियुक्ति के लिए दावा किया था, जिनका उल्लेख उसके द्वारा प्रस्तुत वरीयता सूची में नहीं था। अतः कोर्ट ने यह देखते हुए कि याची द्वारा प्रस्तुत वरीयता सूची के क्रम संख्या 28 में निर्दिष्ट कॉलेज में उसे नियुक्ति देने में संबंधित प्राधिकारी द्वारा कोई गलती नहीं की गई है, याचिका खारिज कर दी गई।

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