Prayagraj News : आर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिला कलाकारों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने हेतु आयोजकों को निर्देश
अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आयोजकों को आर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिला कलाकारों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देते हुए कहा कि सामाजिक धारणाएं कभी-कभी महिला कलाकारों के बुनियादी मानवाधिकारों को कमजोर करते हैं। इन कलाकारों को वासना की वस्तु बना देती हैं और उनके प्रति इस तरह का रवैया लैंगिक हिंसा को बढ़ावा देता है और महिला कलाकारों की गरिमा को छीन लेता है।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आर्केस्ट्रा में काम करने वाली महिला कलाकारों को अक्सर यौन उत्पीड़न और शोषण का शिकार होना पड़ता है। समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि यह कलाकार भी सम्मान के हकदार हैं। कलाकारों की गरिमा उनकी कला में निहित है, इसलिए यह आयोजक की जिम्मेदारी है कि महिला कलाकारों के लिए ऐसा माहौल बनाया जाए, जहां वह बिना किसी डर और धमकी के स्वतंत्र रूप से अपनी कला का प्रदर्शन कर सकें, क्योंकि वह समाज में संस्कृति, रचनात्मकता और अभिव्यक्ति के पथप्रदर्शक हैं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकलपीठ ने पुलिस स्टेशन मडुवाडीह जिला वाराणसी में मनीष कुमार यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने वाली जमानत याचिका को खारिज करते हुए पारित किया।
याची को पिछले वर्ष बीएनएस की धाराओं 64, 332(बी), 352, 351(3) के तहत गिरफ्तार किया गया था। उस पर आर्केस्ट्रा की एक महिला सदस्य से छेड़छाड़ करने और उसके बाद उसे दुष्कर्म तथा जान से मारने की धमकी देने का आरोप है। मामले में जमानत की मांग करते हुए याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। दरअसल शिकायतकर्ता ने याची से 25 हजार रुपए उधार लिए थे। देनदारी से बचने के लिए उसने याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। अंत में कोर्ट ने बीएनएसएस की धारा 180 और 183 के तहत पीड़िता के बयानों में विरोधाभास न पाते हुए अपराध की जघन्य प्रकृति को देखते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी।
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