उस्ताद ने शहर में भी बिखेरा था तबले का जादू: नादब्रह्मन संस्था के बुलावे पर कानपुर के मर्चेंट चैंबर आए थे जाकिर हुसैन
शास्त्रीय नृत्य के मास्टर दुर्गालाल के साथ की थी जुगलबंदी
कानपुर, अमृत विचार। विश्वविख्यात तबलावादक पद्मविभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन शहर के संगीत प्रेमियों को झकझोर देने वाली खबर है। इलाज के दौरान उन्होंने सैन फ्रांसिस्को में आखिरी सांस ली। उनकी सादगी को लोग आज भी याद करते हैं।
वह शहर में पूर्व आईएएस एस.वरदराजन की नादब्रह्मन संस्था के कार्यक्रम में शिरकत कर चुके थे। यह कार्यक्रम मर्चेंट चैंबर हाल में हुआ था। शास्त्रीय नृत्य के मास्टर कलाकार दुर्गालाल के साथ उस्ताद की जुगलबंदी लोगों को आज भी याद है। मंच पर दुर्गालाल के पांव थिरक रहे थे तो दूसरी तरफ उस्ताद की तबले पर उंगलियां। यह जुगलबंदी आज भी लोगों के दिमाग में तरोताजा है।
इंटैक के पूर्व अध्यक्ष तारिक इब्राहिम नादब्रह्मन संस्था से जुड़े थे। वह बताते हैं कि वरदाराजन जी नादब्रह्मन संस्था के कार्यक्रम में किसी न किसी विश्व विख्यात कलाकार को बुलाते थे। उसी कड़ी में उस्ताद जाकिर हुसैन का कानपुर आना हुआ था। मर्चेंट चैंबर हाल में उस्ताद की जुगलबंदी का लुत्फ उठाने को संगीत प्रेमियों का जमघट लगा था। खचाखच भरे हाल में बहुत से लोगों को प्रवेश तक नहीं मिल पाया था।
हर साल कानपुर में शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम कराने वाले कला संस्कृति को समर्पित स्मृति संस्था के संस्थापक राजेंद्र मिश्र (बब्बू भइया) भी उस्ताद जाकिर हुसैन के तबलावादन का लुत्फ उठाने को जाते रहे हैं। उस्ताद का एक किस्सा बताते हुए उनकी आंखें नम हो गयीं। वह बताते हैं कि बात पुरानी है, आगरा के मुगल शेरेटन में दिग्गज कलाकारों का एकत्र होने का संयोग बना। कार्यक्रम रात को खत्म हुआ तो डिनर पर सब लोग बैठे।
साथ बैठने का उन्हें भी मौका मिला था। होटल का गजल गायक कोई गजल गा रहा था। उस्ताद उसकी तरफ मुखातिब हुए बिना ही दो चम्मच पकड़कर मेज बजाने में खो गए। जब खाना परोसा गया तो उनकी तंद्रा टूटी। कानपुर के तबलावादक रवि शुक्ला के हवाले से वह बताते हैं कि कानपुर में उनके संस्था के साथ दो प्रोग्राम हुए। राजेंद्र मिश्रा बताते हैं कि 2023 में उस्ताद को पद्मविभूषण से नवाजा गया था।
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बुलावे पर आल स्टार ग्लोबल कंसर्ट में शिरकत करने का अवसर भी उन्हें मिल चुका है। यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है। वह बताते हैं कि उस्ताद अच्छे एक्टर भी थे। फिल्मों में काम का उन्हें तजुर्बा था।