कासगंज: वन्य जीवों का आश्रय स्थल बन गए हैं तराई के जंगल
मानव निर्मित वनों में बने हैं जानवरों के घरौंदे, भूख मिटा रहे घास के मैदान
कासगंज, अमृत विचार। पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रशासन की पहल वन्यजीवों को भी सहूलियत देने लगी है। गांव की आबादी से दूर गंगा किनारे तैयार किए गए वनों में वन्य जीव रह रहे हैं। इतना ही नहीं यह वन इसलिए और भी सहूलियत भरे हैं कि वन्यजीवों को यहां पर्याप्त मात्रा में आहार मिल रहा है। क्षेत्र में सैकड़ों बीघा सरकारी भूमि जो अतिक्रमण से मुक्त कराई गई थी, उस पर घास उग रही है। वन्य जीव इससे अपना आहार बना रहे हैं।
जिले में वर्ष 2019 में वन संरक्षण के लिए मुहिम छेड़ी गई। वर्ष 2020 में गंगा वन स्थापित किया गया वर्ष 2021 में भागीरथ वन तैयार किया गया। लाखों पौधे रोपे गए। धीमे-धीमे यह पौधे पेड़ बन गए हैं। यहां का नजारा आकर्षक है। गांव की आबादी से दूर है तो वन्यजीवों के लिए ये वन आश्रय स्थल भी बन रहे हैं। वन्यजीव आबादी से दूर ही रहना पसंद करते हैं। अहम बात यह है कि डेढ़ साल पहले प्रशासन द्वारा इन वनों के आसपास पंद्रह सौ बीघा सरकारी जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई गई थी। यह जमीन वन विभाग के सुपुर्द कर दी गई। यहां वैसे तो पौधरोपण की तैयारी है, लेकिन अब इस जमीन पर घास उग आई है। वन्यजीवों को घास का सहारा मिल रहा है। वन्य जीव अपनी भूख मिटा रहे हैं।
मिटी भूख, बुझी प्यास, मिला आराम
यह क्षेत्र वन्यजीवों के लिए इसलिए और भी सहूलियत भरा है कि यहां भूख मिटाने के लिए प्राकृतिक घास हैं तो प्यास बुझाने के लिए गंगा का सहारा है। उसके बाद आश्रय लेने के लिए गंगा और भागीरथ वन हैं।
आंकड़े की नजर से
1.51 लाख पौधे हैं गंगा वन में
3.51 लाख पौधे हैं भागीरथ वन में
इन प्रजातियों के हैं वन्य जीव
हिरण, नीलगाय, गोवंश, खरगोश के अलावा विभिन्न प्रजातियों की पक्षी भी यहां अपने घरौंदे बना चुके हैं। गंगा और भगीरथ वन में वन्य जीव आश्रय ले रहे हैं। आसपास घास के मैदान हैं। जहां वे घास को आहार के रूप में ले रहे हैं।
जानिए क्या बोले वनाधिकारी
डीएफओ अपूर्व दीक्षित ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण के लिए वन काफी कारगर साबित हुए हैं। वन्य जीव हमेशा आबादी से दूर रहना जंगल में घर बसाना पसंद करते हैं। ऐसा ही कासगंज में हो रहा है। उनके संरक्षण के लिए बेहतर प्रयास किया जा रहे हैं।