रामपुर: शहजादनगर के मजदूर की नजीबाबाद में मौत
एक माह पहले कोटद्वार में मजदूरी करने गया था प्रेमवीर
रामपुर, अमृत विचार। नजीबाबाद में सड़क पार करते समय किसी अज्ञात वाहन ने मजदूर को टक्कर मारकर घायल कर दिया। उसके साथी उसको बिजनौर ले गए। हालत गंभीर होने पर बेहतर इलाज के लिए घायल को मेरठ रेफर कर दिया गया। लेकिन साथी वहां ले जाने के बजाए मुरादाबाद किसी अस्पताल में दिखाने की बात कहकर चले गए। लेकिन रास्ते में मजदूर की मौत हो गई। सूचना मिलने पर परिजन शव को घर ले गए। जानकारी मिलने के बाद कोतवाली पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों के हवाले कर दिया।
शहजादनगर थाना क्षेत्र के गांव जादोपुर निवासी मुरारीलाल का बेटा 40 वर्षीय प्रेमवीर करीब एक माह पहले मजदूरी करने के लिए कोटद्वार गया था। बताया जा रहा है कि वह कोटद्वार से कुछ अन्य मजूदरों के साथ एक वाहन से नजीबाबाद आ गया। उसके बाद वह रामपुर तक की ट्रेन पकड़ने के लिए सड़क को पार करके नजीबाबाद के रेलवे स्टेशन पर जा रहा था। सड़क पार करते समय किसी अज्ञात वाहन ने उसको टक्कर मार दी जिससे वह घायल हो गया। हादसे के बाद उसके साथी मौके पर दौड़ पड़े। उसके बाद घायल को बिजनौर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे । जहां डॉक्टर ने मजदूर की हालत नाजुक देखते हुए मेरठ के लिए रेफर कर दिया। लेकिन मजदूर के साथी और परिजन उसको मुरादाबाद के किसी अस्पताल में दिखाने की बात कहकर वहां से चले दिए। लेकिन बिजनौर से कुछ दूरी पर ही प्रेमवीर की मौत हो गई। सूचना मिलने के बाद परिजन शव को घर ले गए। प्रधान के बताने पर परिजन शव को जिला अस्पताल ले आए और हादसे की कोतवाली पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने पर कोतवाली पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया शव परिजनों के हवाले कर दिया। प्रेमवीर के परिजनों को लोगों ने बताया कि मजदूर का पोस्टमार्टम कराने के बाद उन्हें सरकार से कुछ सहायता मिल सकती है।
प्रेमवीर के हैं दो लड़के और दो लड़कियां
प्रेमवीर का परिवार बहुत ही गरीब है। वह मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पाल रहा था। जादोपुर के प्रधान बलवीर सिंह ने बताया कि यह एक माह से कोटद्वार में नौकरी कर रहा था। एक माह के बाद घर वापस आ रहा था कि उसके साथ नजीबाबाद में हादसा हो गया। मृतक के दो बेटे राकेश 18, राजवीर 25 और बेटियां आशा 18 और सर्वेश 25 वर्ष है। उसने केवल एक बेटे राजवीर की शादी की थी। तीन बच्चों की शादी होना थी। घर का इकलौता कमाने वाला था, परिजनों का रोते-रोते बुरा हाल है।