घर पर खुद न बनें डॉक्टर, बिना विशेषज्ञ की सलाह एंटीबायोटिक खाने से बचें
केजीएमयू में आयोजित हुए कार्यक्रम में किया गया जागरूक
लखनऊ, अमृत विचार: लोगों को एंटीबायोटिक दवाएं तब तक नहीं खानी चाहिए जब तक इसकी सलाह विशेषज्ञ की और से न दी जाए। लोग अपनी मर्जी से या फिर झोलाछाप के कहने पर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कर लेते हैं। जोकि, भविष्य में उनके सेहत के लिए सही नहीं होता। यह सलाह केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा ने दी।
वह सोमवार को विश्व एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस जागरुकता सप्ताह को संबोधित कर रही थी। डॉ. शीतल वर्मा ने कहा कि एंटीबायोटिक दवाएं सीमित हैं। मेडिकल स्टोर से बिना डॉक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक दवा नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अधूरी डोज या बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से मरीज में रेजिस्टेंट हो सकता है। नतीजतन बाद में यह दवा मरीज में बेअसर साबित हो सकती है।
डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि जागरुकता कार्यक्रम के तहत प्रतिज्ञा अभियान और एएमआर-थीम आधारित फोटो बूथ स्थापित किए गए हैं। जो छात्रों, संकायों और समुदाय को जागरुकता फैलाने में शामिल करने के लिए हैं। ये बूथ ओपीडी, कलाम सेंटर और ट्रॉमा सेंटर में लगाए गए हैं। 18 से 24 नवंबर तक सुबह 9 से शाम चार बजे तक खुले रहेंगे। माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. अमिता जैन ने कहा कि इस तरह की रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से हमारा लक्ष्य एएमआर जागरुकता को सभी के लिए रोचक और प्रभावशाली बनाना है।
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