चित्रकूट में मोहन भागवत बोले- सभी को जोड़कर उन्नति करना हमारे देश का धर्म...सनातन कथा के दौरान हम डंडा लेकर बाहर बैठते हैं
चित्रकूट, अमृत विचार। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि सभी को जोड़कर उन्नति करना हमारे देश का धर्म है। यहां जीने के लिए संघर्ष की आवश्यकता नहीं है। संत जब सनातन धर्म कथा कहते हैं तो बाधा न पहुंचे, इसलिए हम डंडा लेकर बाहर बैठते हैं।
डा. भागवत बुधवार को तीर्थक्षेत्र में श्रीधर धाम दास हनुमान देवस्थान आश्रम में हो रहे प्रख्यात कथावाचक स्व. रामकिंकर उपाध्याय के तीन दिवसीय जन्म शताब्दी समारोह के समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि संघ और संत का कार्यक्षेत्र अलग-अलग है।
जब अंदर संत सनातन धर्म की कथा कह रहे होते हैं तब हम संघ के लोग कथा में बाधा न पहुंचे इसलिए डंडा लेकर बाहर बैठते हैं। अंदर क्या चल रहा है भले ही हमें इसका ज्ञान न हो पर इतना ज्ञान तो है कि अंदर भी चल रहा है सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्व. रामकिंकर का स्मरण किया।
बोले, उनकी रामकथा में सिर्फ राम की कथा होती थी। उनकी कथा पुरुषार्थ और कुशलता की न होकर कृपास्वरूपा थी और यही हमारे राष्ट्र का आधार है। जीवन को कुंदन करने के लिए रामकिंकर जी जैसे महान संतों को सुनने की आवश्यकता है। ऋषि-मुनियों के कठोर परिश्रम से भारत की नींव रखी गई और हम अलग-अलग रंग रूप होते हुए भी मूल रूप से सभी एक हैं। उन्होंने बताया कि जानकारी से नहीं बल्कि आचरण से धर्म की प्राप्ति होती है।
प्रभु राम ने धर्म को जीकर दिखाया
उन्होंने कहा कि प्रभु राम ने धर्म को जीकर दिखाया। दुनिया कैसी है यह महाभारत दिखाता है, रहना कैसे है यह रामायण सिखाती है। धर्म का तत्व गूढ़ है, आचरण धर्मसंपन्न होने पर उदाहरण बनता है। उन्होंने कहा कि भगवान की इच्छा है इसलिए सनातन धर्म का उत्थान होगा। कभी कभी पुरुषार्थी लोगों को उठाना पड़ता है। विश्व में कोई युद्ध न हो इसलिए मन की अयोध्या बनाना आवश्यक है। डा. भागवत डीआरआई में महाकौशल प्रांत के संचालकों के कार्यकर्ता वर्ग में शामिल होने आए थे। इस मौके पर प्रख्यात रामकथा वाचक संत मोरारी बापू भी मौजूद रहे।