अयोध्या: नहाय-खाय के साथ मंगलवार से होगा छठ महापर्व का आगाज, जानिए कब है समापन
रामनगरी में भी धूम, आठ नवंबर को होगा व्रत का समापन
अयोध्या, अमृत विचार। बिहार और पूर्वांचल का सबसे बड़ा महापर्व छठ मंगलवार को नहाय-खाए से होगा। रामनगरी में भी इसकी धूम रहती है। बड़ी संख्या में व्रती सरयू तट पर उमड़ते हैं। महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करेंगी। छह नवंबर को खरना होगा। उसी रात से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। सात नवंबर को तीसरे दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। आठ नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करते हैं।
नहाय-खाए : नहाय खाए के दिन पूरे घर की साफ- सफाई की जाती है। स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है।
खरना : इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्यदेव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद ग्रहण किया जाता है। व्रत का पारण छठ के समापन के बाद ही किया जाता है।
पहला अर्घ्य 7 को : खरना के अगले दिन शाम के समय महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं।
समापन 8 को : इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं। इसके बाद उगते सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारण किया जाता है।
छठ पर्व में गीत ही मंत्र हैं: डॉ. रामानंद शुक्ल
साहित्यकार डॉ. रामानंद शुक्ल बताते हैं कि छठ पर्व में गीत ही मंत्र हैं। इन गीतों में परिवार और संतान के साथ सूर्य, पृथ्वी और पर्यावरण संरक्षण की बात भी पीढ़ियों से चली आ रही है। बांस व दूब की तुलना वंश से की गई है। कांचहि बांस कै दउरवा, दउरा नइ-नइ जाय... गीत में कच्चे बांस की दौरी का जिक्र है जो बोझ से लचक रही है मगर टूटने को तैयार नहीं है। रीतियों में संतान को भी इसी तरह फलने-फूलने और दृढ़ रहने का आशीर्वाद दिया जाता है।