चित्रकूट: लॉरेंस विश्नोई के नाम से गधा भी हुआ मालामाल, औरेंगजेब के मेले में नहीं मिले सलमान खान के खरीदार

चित्रकूट: लॉरेंस विश्नोई के नाम से गधा भी हुआ मालामाल, औरेंगजेब के मेले में नहीं मिले सलमान खान के खरीदार

अमृत विचार, चित्रकूट: अंतर्राष्ट्रीय डॉन लॉरेंस विश्नोई की बढ़ती लोकप्रियता का एक उदाहरण चित्रकूट में सामने आया, जहां गधा भी लॉरेंस के नाम से मालामाल हो गया। दूर-दराज से आए खरीदारों ने बॉलीवुड के चमकते सितारों को दरकिनार कर लॉरेंस पर जमकर बोली लगाई। जानकारी के मुताबिक लॉरेंस की बिक्री सवा लाख रुपये में हुई। सुपरस्टार शाहरुख खान की कीमत 80 हजार रुपये लगी, जबिक सलमान खान के खरीदार ही नहीं मिले। यह नजारा औरेंगजेब के लगाए हुए चित्रकूट के ऐतिहासिक दीपदान मेले में देखने को मिला।

मध्य प्रदेश और यूपी की सीमा वाले चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे हर साल दीपावली के अगले दिन दीपदान मेला लगता है। इस मेले में एमपी, यूपी के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़ तक से गधे और खच्चर बेचने के लिए लाए जाते हैं। पशुपालक इन जानवारों की आकर्षक कीमत के लिए उनका नाम बॉलीवुड के सितारों के नाम पर रखते हैं। बताया जा रहा कि इस बार मेले का आकर्षण लॉरेंस विश्नोई नाम का गधा रहा। अपने नाम की वजह से इसने पूरी महफिल लूट ली और सितारे इधर-उधर झांकते रह गए। मेला आयोजकों के मुताबिक लॉरेंस नाम के गधे की कीमत सवा लाख रुपये लगी। जबकि शाहरुख खान नाम का गधा 80 हजार रुपये में बिका। बताते हैं कि सलमान खान नाम के गधे के मालिक को निराश होकर लौटना पड़ा क्योंकि उसका कोई खरीदार ही नहीं मिला। 

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मंदाकिनी नदी के किनारे लगता है मेला
चित्रकूट में दीपदान मेले का शुक्रवार को चौथा दिन था। दीपावली मेले के दूसरे दिन अन्नकूट से मंदाकिनी नदी के किनारे गधों का मेला सदियों से लगता आ रहा है। गधों के इस बाजार में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अलग-अलग प्रांतों के व्यापारी गधों को बेचने और खरीदने आते हैं। मंदाकिनी नदी के किनारे हजारों की संख्या में गधों और खच्चरों का मेला लगा है, जिसकी बाकायदा नगर पालिका परिषद चित्रकूट द्वारा व्यवस्था की गई है।

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खात्मे की कगार पर गधों का मेला
इस मेले में आए व्यापारियों का कहना है कि यहां व्यवस्था का अभाव रहता है। मुगल काल से चली आ रही ये परंपरा सुविधाओं के अभाव में अब लगभग खात्मे की कगार पर है। गधा मेले में सुरक्षा के नाम पर होमगार्ड तक नहीं लगाए जाते, इसलिए धीरे-धीरे व्यापारियों का आना कम हो रहा है। गधा व्यापरियों ने बताया कि मेले में ठेकेदार एंट्री का 600 रुपये और बांधने के लिए 30 प्रति गधा खूंटे का वसूलते हैं।

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औरंगजेब ने बनवाया था मंदिर, शुरू हुई थी परंपरा
चित्रकूट में मंदाकिनी के तट पर गधों का यह मेला मुगल शासक औरंगजेब के शासन काल से लगता आ रहा है। कहा जाता है कि औरंगजेब जब भारत के मंदिरों को तहस नहस कर लूटपाट कर रहा था, तो उसने अपनी सेना का लश्कर चित्रकूट में मंदाकिनी तट पर डाला था। इस दौरान उसने मतगजेंद्र नाथ स्वामी मंदिर पर हमला भी किया था, लेकिन इसके बाद उसका लश्कर तबाह हो गया था। तब उसने चित्रकूट में मंदिर बनवाया था और गधों का मेला लगवाया था। औरंगजेब का बनवाया हुआ सम्भवतः यह भारत का पहला मंदिर है।