ऊधमसिंह नगर के सिंडीकेट ने पीलीभीत में खरीदी थी सैकड़ों बीघा जमीन, सांठगांठ से रचा खेल
राकेश शर्मा, बरेली। सितारगंज हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण सबसे बड़ा खेल जमीनों की खरीद-फरोख्त करने वाले के ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) के सिंडीकेट ने किया। इस सिंडीकेट में शामिल कई लोगों के उत्तराखंड के भाजपा नेताओं से गहरे संपर्क हैं। बरेली के भी कई लोग इसमें शामिल बताए गए हैं। सितारगंज हाईवे का एलाइनमेंंट पता लगते हैं इन लोगों ने पीलीभीत में दलालों के जरिए सैकड़ों बीघा जमीन खरीद ली और अफसरों से सांठगांठ कर धारा 80 यानी भूउपयोग परिवर्तन भी करा लिया।
इस खेल में सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही कि यह घोटाला भी ऊधमसिंहनगर जिले में कुछ साल पहले सितारगंज-पानीपत फोरलेन में हुए घोटाले की तर्ज पर किया गया। सितारगंज हाईवे की भूमि खरीदने वाले सिंडीकेट के कई सदस्यों ने शाहजहांपुर-बीसलपुर फोरलेन हाईवे के संरेखण वाली भूमि भी खरीदी है जिसका पर्दाफाश होना अभी बाकी है। अपर आयुक्त प्रशासन प्रीति जायसवाल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय मंडलीय समिति ने जांच में पाया है कि खुद और परिजनों के जरिए 3-ए के नोटिफिकेशन के तुरंत बाद भूमि खरीदने वाले ज्यादातर लोग ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर और सितारगंज के हैं।
पीलीभीत में स्थानीय लोगों को गुमराह किया था और वहीं के दलालों के साथ धारा 80 की भी घोषणा करा ली गई थी। जमीन पर इस तरह के कमजोर ढांचे भी बनाए गए ताकि बाहर से आए लोगों की ज्यादा प्रतिकर पाने की मंशा पूरी हो सके और वे संगठित होकर घोटाला कर सकें। इनमें से कुछ लोगों ने एक से ज्यादा गांवों और जिलों में जहां एनएचएआई की परियोजना प्रस्तावित थी, वहां भी जमीन खरीदी है।
ऊधमसिंह नगर के ये हैं खिलाड़ी
राजेश कुमार, रामकिशोर, रमन फुटेला, मनीषा सिंघल, अंकुर पपनेजा, बबिता रानी, सीमा रानी, नवीन कुमार खेड़ा, राजकुमारी, उमा गंगवार, पीयूष टंडन, राजन प्रसाद बंसल के नाम इन खिलाड़ियों में शामिल हैं। इनमें कोई रुद्रपुर और तो कोई सितारगंज का है। कई लोग भाजपा से जुड़े हैं, एक-दो लोगों के कांग्रेस से भी जुड़ाव की बात सामने आई है।
बरेली के रामेश्वर दयाल और ऊधमसिंह नगर के नवीन ने बीसलपुर में भी खरीदी जमीन
शाहजहांपुर और बीसलपुर को जोड़ने के लिए करीब 47 किमी लंबा हाईवे बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण चल रहा है। इस अधिग्रहण से पहले संयुक्त सचिव भूमि अधिग्रहण, एनएचएआई को भेजी पांच पेज की लिखित शिकायत में बरेली के रामेश्वर दयाल और ऊधमसिंह नगर के नवीन कुमार खेड़ा का नाम भी है। रामेश्वर और नवीन के महोबा और रामेश्वर के ग्यासपुर में भी हाईवे के संरेखण वाली जमीन खरीदने की बात कही जा रही है। इस शिकायत को मंडलीय जांच रिपोर्ट में रामेश्वर और नवीन के नाम खुलने पर सही माना जा सकता है।
राजीव पांडेय अब बस्ती में अपर आयुक्त, मदन कुमार इलाहाबाद में एडीएम सिटी
बरेली: मंडलीय टीम ने जांच में पाया कि सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति एवं परियोजना निदेशक एनएचएआई के कार्यालय से 3 ए प्रकाशन की सूचना तहसील स्तर पर भेजने के लिए कोई पत्राचार नहीं किया गया, इसलिए इससे संबंधित कोई अभिलेख प्राप्त नहीं हुए हैं। इसमें सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति की पर्यवेक्षणीय शिथिलता और उनके कार्यालय की लापरवाही बताई गई है। 27 मार्च 2018 से 7 मार्च 2019 तक विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी रहे सुल्तान अशरफ सिद्दीकी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
इनका नाम बहेड़ी-सितारगंज फोरलेन में कृषि भूमि का कॉमर्शियल रेट पर मुआवजा देने में भी उछला था। तत्कालीन कमिश्नर ने कार्रवाई के लिए शासन को भी लिखा था। इलाहाबाद के एडीएम सिटी मदन कुमार 08. मार्च 2019 से 23 सितंबर 2021 तक बरेली में सिटी मजिस्ट्रेट के साथ विशेष भूमि अध्यान्ति अधिकारी रहे थे। अपर आयुक्त बस्ती के पद पर तैनात राजीव पांडेय भी बरेली में 24 सितंबर 2021 से 12 जुलाई 2022 तक सिटी मजिस्ट्रेट रहे। कुछ समय विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी का भी उन पर चार्ज रहा। इन सभी अफसरों की घोटाले में संदिग्ध भूमिका पाई गई है।
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