हल्द्वानी: पीलीकोठी में सिलेंडर फटा, दो महिलाएं और दो बच्चे झुलसे

हल्द्वानी, अमृत विचार। पीलीकोठी स्थित एक घर में पूजा-पाठ की तैयारियों के बीच अचानक सिलेंडर फट गया। तेज धमाके के साथ फटे सिलेंडर से लगी आग ने कुछ ही देर में तीन मंजिला मकान को अपनी चपेट में ले लिया। आग से घर में मौजूद दो महिलाएं और दो बच्चे बुरी तरह झुलस गए। करीब पौन घंटे बाद घरवालों ने स्थानीय लोगों की मदद से आग पर काबू पाया और घायलों को उपचार के लिए अस्पताल भेजा।
दमकल वाहन के पहुंचने तक आग बुझाई जा चुकी थी। पीलीकोठी में श्याम गार्डन के पास रहने वाले राम अवतार पाल यहां परिवार के साथ रहते हैं। राम अवतार के छोटे बेटे सुभाष पाल ने बताया कि घर में शाम को पूजा-पाठ होनी थी और इसके लिए पूरा परिवार एकत्र हुआ था।
शाम करीब साढ़े चार बजे परिवार की महिलाएं घर के निचले तल पर बने किचेन में चाय बना रही थी कि तभी अचानक सिलेंडर में आग लग गई। कोई कुछ समझा पाता, इससे पहले ही आग फैलने लगी और कुछ ही देर में जोरदार धमाके के साथ सिलेंडर फट गया। इस घटना में सुभाष की भाभी मंजू पाल पत्नी दिनेश पाल, रूपा पाल पत्नी हरीश पाल, भाजे आदित्य (12 वर्ष) और पीयूष (8 वर्ष) बुरी तरह झुलस गए।
महिलाओं और बच्चों की चीख-पुकार सुन दौड़े अन्य लोगों ने किसी तरह सभी को आग से बाहर निकाला और डा.सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय भेजा गया। इधर, किचेन में रखे फ्रीज और अन्य घरेलू सामान में आग लगने से आग तेजी से फैलने लगी और देखते-देखते आग ने तीन मंजिला मकान को अपनी चपेट में ले लिया।
आनन-फानन में परिवार के अन्य लोगों ने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक करीब पौन घंटे गुजर चुके थे और से लाखों का नुकसान हो चुका था। दमकल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि घटना की सूचना उन्हें सवा पांच बजे मिली और फौरन टीम मौके पर भेज दी गई।
धुंए से बीमार पिता की हालत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती
सुभाष का कहना है कि घटना के बाद आग पर तो काबू पा लिया गया, लेकिन पूरे घर में धुंआ भर गया। उन्होंने दो माह पहले ही पिता के ह्रदय का ऑपरेशन कराया था। घर में भरे धुंए की वजह से उनके पिता राम पाल की हालत भी बिगड़ गई। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी। जिसके बाद आनन-फानन में उन्हें भी एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
आग में फंसे बच्चों को निकालने में झुलसी मंजू
सुभाष के मुताबिक घटना के वक्त बच्चे किचने के पास ही थे। आग और धमाके के बाद बड़े तो बाहर निकलने में कामयाब हो गए, लेकिन पीयूष और जितेंद्र वहीं फंस गए। जिन्हें निकालने के लिए दोबारा लोग घर में घुसे। मंजू अपनी जान जोखिम में डाल कर बच्चों तक पहुंची, लेकिन तब तक बच्चे भी झुलस चुके थे और उन्हें बचाने में मंजू भी झुलस गईं।
हवा से फैली आग, बिजली का सहारा पाकर धधकी
सुभाष का तीन मंजिला घर बेहद संकरा है। बताया जाता है कि जिस वक्त यह घटना घटी तेज हवा चल रही थी। हवा की वजह से आग कभी इधर तो कभी उधर भाग रही थी। जिससे बचाव में काफी परेशानी हो रही थी। आग के बीच शार्ट सर्किट होने से आग तेजी से फैलती जा रही थी। ऐसे में सबसे पहले विद्युत विभाग को फोन कर बिजली बंद कराई गई। अन्यथा आग से और नुकसान होता।