लखनऊ: कोरोना रोधी टीके पर बोले डॉ. सूर्यकांत- कोविशील्ड को लेकर घबराने की जरूरत नहीं

लखनऊ: कोरोना रोधी टीके पर बोले डॉ. सूर्यकांत- कोविशील्ड को लेकर घबराने की जरूरत नहीं

लखनऊ, अमृत विचार। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के एचओडी और यूपी में कोविड टीकाकरण के ब्रांड एम्बेसडर रहे डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि कोरोना रोधी टीका कोविशील्ड को लेकर आ रही खबरों से घबराने की जरूरत नहीं हे। यह वैक्शीन पूरी तरह से सुरक्षित है। इस तरह के टीकों का दुष्प्रभाव भी तात्कालिक होता है, टीका लगने के एक महीने बाद उसकी भी गुंजाइश न के बराबर रह जाती है।  

दरअसल,बीते दिनों ब्रिटिश दवाई कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट के सामने एक बड़ी बात स्वीकार की है। उसने अदालती दस्तावेज में माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन के कारण एक दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकता है एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में कबूल किया कि कोविड-19 वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम में शरीर में खून का थक्का जमने और प्लेटलेट्स कम होने की दिक्कत सामने आती है। ब्लड क्लॉट की वजह से ब्रेन स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट यानी की हार्ट अटैक की समस्या हो सकती हे। भारत में भी एस्ट्राजेनेका ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर कोविशील्ड तैयार की थी। 

करोड़ों लोगों को लगी है कोविशील्ड

डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि देश में करोड़ों लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगी है, लेकिन अधिकृत रूप से ऐसा कोई भी मामला सामने नहीं आया कि जिससे साबित हो सके वैक्सीन के दुष्प्रभाव से कुछ समस्या है। उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर होकर भी उन्होंने कोविड टीकाकरण के पहले दिन पहला डोज और वह भी कोविशील्ड का ही लगवाया था। वैक्सीन लगवाये हुए तीन साल से अधिक का समय बीतने वाला है, लेकिन कभी किसी तरह के दुष्प्रभाव के संकेत तक उन्होंने शरीर में नहीं दिखाई पड़े । इसका दुष्प्रभाव भी बड़े ही दुर्लभ मामलों में देखे जा सकते हैं जो कि लाखों-करोड़ों में एक-दो हो सकते हैं, अमूमन जैसा कि अन्य सभी अंग्रेजी दवाओं और इंजेक्शन के साथ होता है। एस्ट्रोजेनिका व कोविशील्ड के मामलों में थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपीनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की स्थिति दुर्लभ स्थितियों में ही बन सकती है कि प्लेटलेट कम होने लगे या हार्ट अटैक की स्थिति पैदा हो । यह स्थिति भी एक महीने के भीतर ही देखने को मिल सकती है और अब तो वैक्सीन लगे हुए भी दो से तीन साल हो गए हैं। इसलिए इससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।

ब्लड क्लाटिंग के कई कारण

डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि ब्लड क्लाटिंग (खून के थक्के) के बहुत से कारण हो सकते हैं, केवल वैक्सीन को जिम्मेदार ठहराना कतई उचित नहीं है। ज्ञात हो कि एक समय इसी वैक्सीन ने लाखों लोगों की जान बचाने के साथ ही हमें घरों से बाहर निकलने की ताकत दी थी। 

खबरों से सतर्क रहने की जरूरत

डॉ. सूर्यकान्त का कहना है कि सोशल मीडिया पर कोविशील्ड को लेकर चल रहीं तमाम भ्रामक ख़बरों से इस वक्त सतर्क रहने की जरूरत है। हार्ट अटैक से बचने के लिए मोटापा से बचें, शुगर व ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें और हायपर टेंशन (तनाव) से बचें। धूम्रपान से दूर रहें और हरी साग-सब्जियों को भोजन में जरूर शामिल करें। घर का बना साफ़-सुथरा और ताजा भोजन ही करें।

यह भी पढ़ें: ABVP जुलाई से संचालित करेगा सदस्यता अभियान, बनाया ये टारगेट