लखनऊ: अवर अभियंताओं पर काम नहीं करने के लगे आरोप

लखनऊ, अमृत विचार। निजीकरण की वापसी के बाद बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। विभाग को बचाए रखना है तो कार्यों से समझौता नहीं किया जा सकता है। निजीकरण वापसी के दौरान सरकार और प्रबंधन की ओर से सफ तौर पर संदेशित किया गया है आपको मौका दिया गया है। …
लखनऊ, अमृत विचार। निजीकरण की वापसी के बाद बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। विभाग को बचाए रखना है तो कार्यों से समझौता नहीं किया जा सकता है। निजीकरण वापसी के दौरान सरकार और प्रबंधन की ओर से सफ तौर पर संदेशित किया गया है आपको मौका दिया गया है। इस बार उपभोाक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हुए बेहतर आपूर्ति के साथ ही अधिक से अधिक राजस्व बढ़ोतरी हो सके, काम करना है।
लेकिन इतना सब होने के बाद भी विभाग के अधिकारी काम नहीं करके, दूसरे संवर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर ठीकरा फोड़ने में लगे हैं। विभाग के उपखंड (जो डायरेक्ट हैं), अधिशासी, अधीक्षण और मुख्य अभियंता काम नहीं करने और लापरवाही का सीधा आरोप जूनियर इंजीनियरों यानि अवर अभियंताओं पर लगा रहे हैं। इन सभी अधिकारियों का सीधे तौर पर कहना है कि जूनियर इंजीनियर काम नहीं करते हैं। वे सिर्फ संगठन की राजनीति और अन्य कामों में लगे रहते हैं।
इनकी वजह से ही विभाग की किरकिरी हो रही है। इन अधिकारियों के अनुसार यदि ये जूनियर अभियंता मेहनत और लगन से काम कर दे तो विभाग उचाईयों पर पहुंच जाए। लेकिन वे ऐसा नहीं करना चाहते हैं। उनके मुताबिक डिवीजन के बिजली घरों से शत प्रतिशत आपूर्ति के संचालन, उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान, बिजली चोरी रोकने, बकाया वसूली सहित कई और काम इन जूनियर अभियंताओं पास होता है, लेकिन इनमे से वे एक काम को भी ठीक से नहीं करते हैं। जिसकी वजह से विभाग गर्त में तो जा ही रहा है। साथ में उपभोक्ताओं की समस्याएं जैसी की तैसी बनी रहती हैं।
भ्रष्टाचार का भी आरोप
जूनियर अभियंताओं पर काम नहीं करने का तो आरोप लग ही रहा है। उनपर भ्रष्टाचार का संगीन आरोप उक्त उन सभी अधिकारियों और बिजली संगठनों के नेताओं द्वारा लगाया जा रहा है। उनके मुताबिक विभाग में सबसे ज्यादा यदि भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है तो जूनियर अभियंताओं की वजह से। जूनियर अभियंता किसी भी काम को बिना घूस लिए नहीं करते हैं। यह आरोप उनके द्वारा जूनियर अभियंताओं पर लगाया गया है। कर्मचारी संगठनों के नेताओं के अनुसार उपभोक्ता सबसे ज्यादा जूनियर अभियंताओं के संपर्क में होते हैं।
प्रबंधन मानता है रीढ़
प्रबंधन जूनियर इंजीनियरों को विभाग रीढ़ मानता है। जूनियर इंजीनियर संगठन के अधिवेशनों के साथ ही अन्य और कार्यक्रमों में प्रबंधन अवर अभियंताओं का विभाग का रीढ़ मान चुका है। उनके मुताबिक यदि अवर अभियंता न हो तो बिजली व्यवस्था को एक दिन भी चला पाना संभव नहीं है। अब बात समझ में नहीं आई कि एक तरफ तो प्रबंधन इन अभियंताओं के न होने पर एक दिन भी आपूर्ति को ठीक तरीके से नहीं संचालित होने की बात कह रहा है वहीं दूसरी ओर उक्त सभी अधिकारियों द्वारा अवर अभियंताओं के काम नहीं करने की बात कहीं जा रही है।