Kanpur: मौसम में हो रहे परिवर्तन से बिगड़ रही तबीयत; इंफ्लुइंजा बना और भी घातक, लोगों में हो रहा शॉक सिंड्रोम
आठ मरीज शॉक की हालत में भर्ती किए गए
कानपुर, अमृत विचार। मौसम में हो रहे परिवर्तन की वजह से वायरल के साथ ही संक्रामक बीमारियों की भी गति तेज होती जा रही है। इस बार इंफ्लुइंजा पहले के मुकाबले अधिक आक्रामक और खतरनाक रूप में देखने को मिल रहा है। इंफ्लुइंजा के संक्रमण के बाद लोगों की अचानक तबीयत बिगड़ने से वह शॉक सिंड्रोम में चले जा रहे हैं और उनका ब्लड प्रेशर काफी तेजी से नीचे गिर रहा है। ऐसे में मरीज की किडनी, लिवर, हृदय और फेफड़े काम करना भी बंद कर सकते हैं। सोमवार को आठ मरीज शॉक की हालत में भर्ती किए गए हैं।
हैलट अस्पताल में मेडिसिन विभाग की ओपीडी में सोमवार को करीब पांच सौ मरीज इलाज कराने पहुंचे, जिनमें अधिकांश मरीज खांसी, जुकाम, वायरल बुखार, सिर में तेज दर्द, पेट दर्द, उल्टी-दस्त व शरीर में कमजोरी के साथ सांस लेने में हो रही समस्या के थे। जैसे सर्दी के मौसम में मरीज हाई ग्रेड फीवर आने पर शॉक सिंड्रोम में गए थे। वैसा ही हाल अब गर्मी की शुरुआत में मरीजों के साथ होने लगा है।
मरीज बेहोशी की हालत में ओपीडी और इमरजेंसी लाए जा रहे हैं। मरीजों के तीमारदार जुकाम व बुखार के बाद उल्टी या दस्त आने का लक्षण बता रहे हैं। इसके बाद मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने की बात कह रहे है। ओपीडी में जांच कराने पर ब्लड प्रेशर बहुत नीचे आ जाता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन के प्रो. जेएस कुशवाहा ने बताया कि मरीज शॉक में आ रहे हैं।
एक-दो उल्टी या दस्त होने के बाद मरीज का बीपी बहुत कम हो जाता है। सोमवार को आठ मरीज शॉक की हालत में भर्ती किए गए हैं। बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें और भीड़भाड वाली जगहों पर मॉस्क का प्रयोग करें। बाहर से आने पर या खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह धोएं। बार-बार हाथ चेहरे पर न लगाएं।
गुर्दा, लिवर, हृदय व अन्य अंग हो सकते प्रभावित
मेडिकल कॉलेज के संचारी रोग के नोडल अधिकारी डॉ. बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि इंफ्लुएंजा ग्रस्त मरीजों के शॉक सिंड्रोम में चले जाने से सेप्सिस हो जाता है। इससे गुर्दा, लिवर, हृदय, फेफड़े समेत शरीर के अंग भी प्रभावित हो सकते हैं। ब्लड प्रेशर ज्यादा गिरने पर मरीजों को वेंटिलेटर पर रखना पड़ता है। मरीज को निमोनिया भी हो सकता है।
इंफ्लुएंजा के मुख्य लक्षण
-सिरदर्द, उल्टी और दस्त।
-खांसी, बुखार या ठंड महसूस करना।
-मांसपेशियों या शरीर में दर्द, थकान।
-गले में खराश या गला सूखना, नाक बहना।