Kanpur: छह माह बाद भी उर्सला अस्पताल में इंस्टॉल नहीं हो सकी बेरा मशीन...मेडिकल को आने वाले अभियुक्त भी होते परेशान

कानपुर में छह माह बाद भी उर्सला अस्पताल में इंस्टॉल नहीं हो सकी बेरा मशीन

Kanpur: छह माह बाद भी उर्सला अस्पताल में इंस्टॉल नहीं हो सकी बेरा मशीन...मेडिकल को आने वाले अभियुक्त भी होते परेशान

कानपुर, अमृत विचार। सुनने की क्षमता परखने वाली बेरा (ब्रेन स्टेम एवोक्ड रिस्पांस ऑडियोमेट्री) मशीन उर्सला अस्पताल में करीब छह महीने से बंद पड़ी है। इसे शुरू करने को लेकर उर्सला प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। यहां तक की इस मशीन को लगाना कहां पर यह तक भी उर्सला प्रशासन या ईएनटी विभाग तय नहीं कर सका है, जिस वजह से मरीजों को सुनने क्षमता की जांच कराने के लिए निजी अस्पतालों व डायग्नोस्टिक सेंटरों की तरफ रुख करना पड़ रहा है। 

उर्सला अस्पताल के नाक, कान व गला विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन सौ के करीब मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, जिनमे से प्रतिदिन 10 से 15 मरीजों की सुनने की क्षमता का सटीक पता लगाने के लिए जांच की जरूरत होती है। यह जांच बेरा मशीन से स्पष्ट होती है। उर्सला अस्पताल में बेरा मशीन जब नहीं थी, तब ईएनटी विभाग ने उच्चाधिकारियों से मशीन की मांग की थी। वहीं, कुछ दानदाताओं से भी बात की गई थी।

इसके बाद एचएएल ने करीब साढ़े तीन लाख रुपये की ब्रेन स्टेम एवोक्ड रिस्पांस ऑडियोमेट्री मशीन लगभग छह माह पहले उपलब्ध कराई गई, जो अभी तक डिब्बे में बंद है। मशीन आने के बाद उर्सला प्रशासन ने बेरा मशीन को इंस्टॉल कराने की जहमत तक नहीं उठाई, जिसका खामियाजा कान के मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

डॉक्टरों द्वारा ऐसे मरीजों को निजी अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच कराने की सलाह दी जा रही है। साथ ही वह उनका पता भी बताने का काम कर रहे है। ताकि मरीजों को संबंधित सेंटर पहुंचने में दिक्कत न हो। वहीं, दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आ रहे लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

मेडिकल को आने वाले अभियुक्त भी होते परेशान 

उर्सला अस्पताल में कानपुर समेत आसपास जिलों की पुलिस अभियुक्तों को लेकर यहां पर मेडिकल कराने लाती है। मेडिकल की जांच में सुनने की क्षमता की भी जांच की जाती है, लेकिन कभी-कभी चतुर अभियुक्त बहरा बनने का नाटक भी करने लगते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि बेरा मशीन से इनकी जांच नहीं की जाती है। क्योंकि बेरा मशीन से कोई व्यक्ति, अभियुक्त या दिव्यांग बहरा होने का नाटक नहीं कर सकता है।  मशीन व्यक्ति की सुनने की क्षमता खुद बताती है, लेकिन अफसोस वह डिब्बे में बंद रखी है। 

मशीन लगाने के लिए जरूरी है साउंड प्रूफ रूम 

उर्सला अस्पताल के सीएमएस डॉ.शैलेंद्र तिवारी ने बताया कि अस्पताल में बेरा मशीन आ चुकी है। उसे कहां पर लगाना यह ईएनटी विभाग से तय किया जा रहा है। यह मशीन ओपीडी के किसी कमरे में लग सकती है। मशीन जिस कमरे में लगेगी, उसके लिए इको प्रूफ रूम यानी साउंड प्रूफ बनाया जाएगा। तब मशीन इंस्टॉल कर उसका संचालन किया जा सकता है। मशीन के संचालन के लिए प्रशिक्षित टेक्निशियन का होना भी जरूरी है।

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