Lok Sabha Election: ‘बीमार’ बसपा के डॉक्टर होंगे मनीष सचान; कभी गढ़ रहा जनपद, आज वजूद की लड़ाई लड़ रही पार्टी

जिले में दो दशक तक विपक्षी दलों की नींद उड़ाए रही बसपा

Lok Sabha Election: ‘बीमार’ बसपा के डॉक्टर होंगे मनीष सचान; कभी गढ़ रहा जनपद, आज वजूद की लड़ाई लड़ रही पार्टी

फतेहपुर, अमृत विचार। कभी दो दशक तक फतेहपुर संसदीय क्षेत्र में चुनावी परिणाम से चौंकाने वाली बहुजन समाज पार्टी के हाथी की चाल मंद है। जिले में बीमार पड़ी बसपा को ठीक कर लोकसभा चुनाव में विजयश्री हासिल करने की जिम्मेदारी, नेतृत्व ने डॉ. मनीष सचान को सौंपी है।

जिले में दो दशक का राजनैतिक इतिहास ऐसा रहा कि यहां के मतदाताओं ने अप्रत्याशित परिणाम बसपा की झोली में डाल दिए लेकिन जैसे ही पराभव शुरू हुआ तो नुमाइंदगी करने वाले जिले के कद्दावर नेताओं ने एक-एक करके हाथी की सवारी छोड़ दी। अभी चुनावी फीवर यहां सही ढंग से चढ़ा नहीं है लेकिन नेतृत्व को उम्मीद है कि प्रत्याशी डॉ. मनीष सचान बीमार बसपा को सही इलाज देकर ठीक करने में कामयाब हो जाएंगे। 

गंगा-यमुना के दोआबा में बसे जनपद का राजनैतिक इतिहास सबको गले लगाने वाला रहा है। यहां जो भी आया उसी पर लोगों ने अपना प्यार लुटा दिया। वो बात दीगर रही कि प्यार में यहां के लोगों को धोखा हर बार मिला लेकिन बार-बार धोखा खाने के बावजूद नेताओं के वादों पर चुनाव-दर-चुनाव ऐतबार मतदाता करते रहे। 

अन्य दलों पर भी टिकी हैं निगाहें

एक बार फिर लोकसभा चुनाव का बिगुल फुंक चुका है। दलों ने 18वीं लोकसभा के चुनाव को लेकर अपना ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार केंद्र में राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को फिर से प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस-सपा गठबंधन के प्रत्याशी की घोषणा होना अभी बाकी है। बसपा ने अपना प्रत्याशी डॉक्टर मनीष सचान को बनाया है। नेतृत्व को उम्मीद है कि जिले में बीमार चल रही बहुजन समाज पार्टी का सही इलाज करने में डॉक्टर मनीष कामयाब हो जाएंगे।

संसद की ड्योढ़ी तक पहुंचने की बेताबी

वैसे तो करीब 29 लाख की आबादी वाले इस संसदीय क्षेत्र में 18वीं लोकसभा के लिए 19 लाख 31 हजार 895 मतदाता 5वें चरण में यहां 20 मई को मतदान करेंगे। लेकिन उसके पहले संसद की ड्योढ़ी तक पहुंचने के लिए जीत का ताना-बाना राजनैतिक पार्टियों द्वारा बुना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी की जीत की हैट्रिक को रोकने के लिए बेताब दिख रहा कांग्रेस-सपा गठबंधन फूंक-फूंक कर कदम रखना चाह रहा है। जातीय समीकरणों को साधने के चक्कर में ही सपा के टिकट की घोषणा में विलंब हो रहा है। दलित, मुस्लिम एवं बिरादरी के कुर्मी मतदाताओं के अलावा सर्व समाज की बात करने वाली बसपा डॉक्टर मनीष सचान के सहारे दिल्ली का रास्ता तय करना चाह रही है।

एक समय बसपा का गढ़ रहा दोआबा

भले ही मौजूदा समय में हाथी जिले में दलदल में फंसा हो लेकिन कभी यहां उसकी चाल मतवाली रही है। वर्ष 1993 से लेकर 2012 तक के विधानसभा व लोकसभा के चुनाव में जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी ने चौंकानें वाले परिणाम दिए, उससे विपक्षी दलों की आंखों की नींदें उड़ी रहीं। एक समय तो ऐसा भी आया जब जिले को बहुजन समाज पार्टी का गढ़ माना जाने लगा था। वर्ष 1993 में पहली बार बसपा ने किशनपुर से विधानसभा में जीत दर्ज की तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

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