बाराबंकी: लगेज की तरह स्कूली बच्चे ढो रहे प्राइवेट वाहन, पुलिस के साथ अभिभावक भी नहीं दे रहे ध्यान

बाराबंकी: लगेज की तरह स्कूली बच्चे ढो रहे प्राइवेट वाहन, पुलिस के साथ अभिभावक भी नहीं दे रहे ध्यान

बाराबंकी, अमृत विचार। शहर में ई-रिक्शा समेत अन्य प्राइवेट वाहन बेरोकटोक स्कूली बच्चों को ढो रहे हैं। गंभीर सवाल यह है कि परिवहन विभाग स्कूल के अन्य वाहनों की जांच करता है, मगर इन प्राइवेट वाहनों की जांच नहीं होती। संबंधित विभाग भी इन वाहनों पर आंखें बंद किए हैं। वहीं अभिभावक भी जल्दी घर व स्कूल पहुंचने के साथ कम किराए के चक्कर में अपने बच्चों की जान जोखिम में डालने से परहेज नहीं कर रहे। 

शहर की सड़कों पर स्कूली बच्चों को ढोने वाले वाहनों की भरमार है। इसमें ई-रिक्शा सबसे खतरनाक साधन है। अपने अभियान के तहत शुक्रवार को अमृत विचार की टीम ने पड़ताल की, तो बेहद चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। स्कूल पहुंचने वाला हर पांचवां व्हीकल ई-रिक्शा या प्राइवेट मारूती वैन ही मिला। घर से स्कूल तक बेधड़क, बेखौफ होकर ये वाहन आते-जाते दिखे।

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ई-रिक्शा पर बच्चे धमाचौकड़ी करते दिखे। कई बार ऐसा लगा कि कहीं ये बच्चे ई-रिक्शा से गिर न जाएं। पीछे की सीटें फुल तो आगे भी ड्राईवर सीट पर बच्चे बैठे दिखे। बच्चों को लाने व ले जाने के लिए वाहन जरूरी तो है, पर सुविधा होनी भी जरूरी है। मानकों को दरकिनार कर बच्चों को ठूंस ठूंस कर प्राइवेट वाहनों से ढोया जाना कहीं न कहीं उनकी जान खतरे में डालने जैसा है। 

हाल ही में देवा के निकट हुए हादसे में तीन बच्चों की जान जाने के बाद भी जिला प्रशासन, पुलिस, यातायात और परिवहन अधिकारी कोई सबक सीखने को तैयार नहीं। उनकी उदासीनता के चलते डग्गामार वाहनों से स्कूली बच्चों को ढोया जा रहा है। जिससे हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है। इनमें कई ऐसे वाहन हैं जो कब दुर्घटनाग्रस्त हो जाएं कहा नहीं जा सकता। 40 फीसदी बच्चे ऑटो, ई-रिक्शा व दूसरे प्राइवेट स्कूली वाहन के माध्यम से स्कूल आते-जाते हैं। जो कभी मासूमों की जान पर भारी पड़ सकते हैं।

स्कूल से चलते हैं डग्गामार वाहन 

स्कूल प्रबंधन को निर्देश होने के बाद भी डग्गामार वाहनों से बच्चों को ढोया जा रहा है। प्रबंधन मूकदर्शक बना हुआ है। कई स्कूलों में तो डग्गामार वाहनों में कर्मचारी ही बच्चों को बैठाते हैं। जबकि कुछ स्कूलों के प्रबंधन ने आरोप से बचने को बाहर से बच्चों को बैठाने की छूट दे रखी है।

ओवरलोडिंग पर नहीं किसी का ध्यान

शहर में चल रहे इन वाहनों में न सिर्फ क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए जा रहे हैं। बल्कि उनमें आवश्यक सावधानियां भी नहीं बरती जा रही हैं। बावजूद इसके अभिभावक भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। वह भी बच्चों की जान जोखिम में डालकर उन्हें लापरवाह चालकों के साथ स्कूल भेज रहे हैं। इससे कभी भी हादसा हो सकता है।

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बिना हेलमेट ट्रिपलिंग कर रहे छात्र

नाबालिग बच्चे भी धड़ल्ले से वाहनों को सड़क पर दौड़ा रहे हैं। जिनको लेकर पुलिस भी मूक दर्शक बनी रहती है। जो कि प्राण घातक है। ऐसे मे बड़ा हादसा हो सकता है। यह स्कूली बच्चे दो पहिया वाहनों पर तीन सवारी के साथ तेज रफ्तार से फर्राटा भरते दिखे। यहां तक हेलमेट लगाना भी यह अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। अब भले ही परिवहन विभाग व यातायात पुलिस जागरुकता को लेकर लगातार अभियान चलाती हो, लेकिन इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा।

नियमों को ताक पर रखकर जो वाहन स्कूली बच्चों को ढो रहे हैं। उनके खिलाफ विभाग लगातार अभियान चलाता है। आगे भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग के अधिकारियों को निर्देश देकर ऐसे वाहनों को सीज भी कराया जाएगा...,अंकिता शुक्ला, एआरटीओ प्रशासन।

ऐसे वाहनों के खिलाफ समय समय पर अभियान चला कर कार्रवाई की जाती है। मामले को गम्भीरता से लिया जाएगा। दुर्घटनाओं को रोकने के लिये नियमों का पालन सख्ती से कराया जाएगा...,रामयतन यादव, यातायात प्रभारी।

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