हल्द्वानी: जेल से चल सकती है सरकार पर जेल में बंद कैदी को नहीं मतदान का अधिकार...

हल्द्वानी: जेल से चल सकती है सरकार पर जेल में बंद कैदी को नहीं मतदान का अधिकार...

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। समानता के अधिकार का ढिंढोरा पीटने वालों को कारागार भी जाना चाहिए। यहां रहकर अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सरकार तो चला सकते हैं, लेकिन जेलों में बंद जनता अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकती। यहां तक की दीवानी जेल में बंद व्यक्ति से मताधिकार छीन लिया जाता है। फिर व्यक्ति विचाराधीन हो या सजायाफ्ता। इसके लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62 का हवाला दिया जाता है। 

बात उत्तराखंड की करें तो राज्य की 10 सामान्य जेलों में उसकी क्षमता 3461 से लगभग दोगुने 6603 कैदी और बंदी बंद हें। प्रदेश में केवल दो जेलें ही ऐसी हैं, जिसमें निर्धारित स्वीकृत क्षमता से कम कैदी बंद है। इनमें सम्पूर्णानन्द शिविर सितारगंज (खुली जेल) में 48 सजायाफ्ता कैदी बंद हैं। कारागार चमोली की क्षमता 169 कैदियों की हैं और यहां 128 कैदी ही बंद हैं। कुल मिलकर राज्य की सभी जेलों में लगभग 6779 कैदी और बंदी बंद हैं और ये सभी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। वहीं शराब घोटाले के आरोप में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में डाल दिया गया है। ऐसे में सवाल उठते हैं कि जब जेल में बंद व्यक्ति को मतदान का अधिकार नहीं तो कोई व्यक्ति जेल में रहते हुए सरकार कैसे चला सकता है।  

कारागार का नाम            बंदियों व कैदियों की संख्या
जिला कारागार देहरादून                1499
जिला कारागार हरिद्वार                  1340 
जिला कारागार नैनीताल                  170
जिला कारागार अल्मोड़ा                  354
जिला कारागार चमोली                    128
जिला कारागार टिहरी                     198
जिला कारागार पौड़ी                      168
उप कारागार हल्द्वानी                   1502 
उप कारागार रुड़की                      439
संपूर्णानंद शिविर सितारगंज               48
केंद्रीय कारागार सितारगंज              805
नोट-बंदी व कैदियों की संख्या फरवरी 2024 तक है।

ओवरलोड है उत्तराखंड के कारागार
 सितारगंज (खुली जेल) और जिला कारागार चमोली के अलावा सभी कारागार में क्षमता से लगभग दोगुने कैदी व बंदी हैं। क्षमता से सर्वाधिक लोग अल्मोड़ा जेल में हैं। यहां 102 क्षमता है और 354 लोग बंद हैं। 555 क्षमता वाले हल्द्वानी कारागार में 1502, 580 क्षमता वाले देहरादून कारागार में 1499, 71 क्षमता वाले नैनीताल कारागार में 170, 244 क्षमता वाले रूड़की कारागार में 439, 888 क्षमता वाले हरिद्वार कारागार में 1340, 552 क्षमता वाले केन्द्रीय कारागार सितारगंज में 805, 150 क्षमता वाले टिहरी कारागार में 198 और 150 क्षमता वाले पौड़ी कारागार में 168 कैदी व बंदी बंद है।

2014 में जेल बंद व्यक्ति ने मांगा था मतदान का अधिकार
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक मामले में जेल में बंद एक व्यक्ति ने वोट का अधिकार की बात बोलकर मतदान करने की अनुमति मांगी थी। तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने आईजी जेल से रिपोर्ट तलब की थी। आईजी जेल ने एक्ट का हवाला देकर वोटिंग का अधिकार न होने की बात कही थी। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए), गुंडा एक्ट तथा शांतिभंग की 107-116 व 151 की धाराओं में बंद कैदियों को ही वोट देने की व्यवस्था की जाती है। 

जेल में रहकर लड़ सकते हैं चुनाव, 2004 में लड़ा था डॉन
डरवर्ल्ड माफिया ओम प्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू श्रीवास्तव ने वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। उस समय वह कारागार में बंद था। सीतापुर से अपना दल के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहा बबलू बरेली के सेंट्रल जेल में बंद था। न्यायालय से अनुमति के बाद बबलू ने पुलिस के कड़े पहरे में सीतापुर जाकर नामांकन किया था। हालांकि इस चुनाव में बबलू हार गया था।