बदायूं: यूपी में एक ऐसी जगह... जहां दफनाए जाते हैं हिंदुओं के शव, जानिए क्यों करते हैं ऐसा?
ऋषिदेव गंगवार/हिमांशु उपाध्याय, बिसौली। तेजी से बदलते दौर में लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं लेकिन यहां एक ऐसी जाति है जिसने अपनी सामाजिक मान्यताओं और संस्कृति को जिंदा रखा है। वह जाति है भुगोलिया नट। समुदाय के लोग खुद को हिंदू मानते हैं लेकिन शवों का दाह संस्कार करने के बजाय दफनाते हैं। इस जाति के लोग अपने पूर्वजों की समाधियों नियमित पूजा भी करते हैं।
राजस्थान के भूगोलिया नट प्रदेश के गोरखपुर, बरेली, रामपुर, बदायूं समेत कई जिलों में डेरा डालकर रहते हैं। रस्सी पर चलना और कलाबाजी करके करतब दिखाना इनका पुश्तैनी पेशा है। हुकूमत में राजा, नवाबों ने इनकी कलाकारी देखकर इन्हें जागीरें बख्शीश में दे डालीं। जिसके चलते कई भुगोलिया नटों के पूर्वज कई गांवों के जमीदार भी रहे हैं।
इस जाति के लोगों ने नगर बिसौली से सटे गांव कुड़ौली के पास तकरीबन 300 साल पुराना सती मंदिर बनवाया। धीरे-धीरे जमींदारी चली गई। अब इस जाति के लोगों ने कलाबाजी करना बंद कर दिया है। ज्यादातर लोग मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करते हैं। अशिक्षित होने के चलते यह बेरोजगार घूम रहे हैं। जो अपनी परंपरा और संस्कृति को नहीं भूले हैं। भुगोलिया नट खुद को हिंदू बताते हैं लेकिन अपनी परंपरा के अनुसार शवों को दफन करते हैं।
पति के साथ जिंदा दफन हुई थी महिला, तभी बनाया गया था सती मंदिर
भुगोलिया नटों के अनुसार शवों को दफनाने का रिवाज तकरीबन 300 साल पुराना हे। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि लगभग 300 साल पहले कलाबाजों को बहुत सम्मान की नजर से देखा जाता था। अच्छे कलाबाज को खूब इनाम मिलता था। उन्हीं दिनों उनके पूर्वजों ने गांव में डेरा डाला था। उस समय बिसौली की रियासत पर नवाब दूदे खां की हुकूमत थी।
नटों ने अपने हुनर से नवाब का मन मोह लिया था। तभी एक कलाबाज नट की रस्सी से गिरकर मौत हो गई। उसकी पत्नी ने नवाब के समक्ष पति के साथ जीवित दफन होने की इच्छा जताई। नवाब और नट जाति के लोगों ने महिला को समझाया लेकिन वह अपने जिद पर अड़ी रही। नवाब को महिला को जीवित उसके पति के साथ दफन करने की इजाजत देखी पड़ी।
महिला को उसके पति के साथ जिंदा दफना दिया गया। उसी दौरान महिला व उसके पति की याद में करौली में ग्रामीणों के सहयोग से सती मंदिर बनवाया गया। इस मंदिर में पति के शव को गोद में रखे महिला की मूर्ति है। भुगोलिया नट हर त्यौहार पर पूजा करते हैं। देश भर में भुगोलिया नट शवों को दफनाने की परंपरा आज भी कायम है। नटों के एक बुजुर्ग ने बताया कि भुगोलिया नट हैं तो हिंदू लेकिन अपनी मान्यता को जिंदा रखे हुए हैं।
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