Kanpur: सपा के फिर हुए बेरिया; रसूलाबाद से अखिलेश को मजबूती देंगे, बोले- ‘महल के दरवाजे पर खड़े थे, अब बैठने को झोपड़ी तो मिली‘

Kanpur: सपा के फिर हुए बेरिया; रसूलाबाद से अखिलेश को मजबूती देंगे, बोले- ‘महल के दरवाजे पर खड़े थे, अब बैठने को झोपड़ी तो मिली‘

कानपुर, अमृत विचार। पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवकुमार बेरिया और उनके समर्थकों की समाजवादी पार्टी में वापसी हो गयी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में उन्हें शामिल किया। वह सीसामऊ, बिल्हौर और रसूलाबाद से चार बार विधायक रहे हैं। पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी कहे जाने वाले बेरिया अखिलेश से मतभेद के चलते पार्टी छोड़कर 2022 में भाजपा में शामिल हो गए थे। 

बातचीत में उनका दर्द छलका।बोले, ‘भाजपा ने उन्हें कभी तरजीह नहीं दी। शामिल होने के बाद किसी स्थानीय नेता तक ने फोन नहीं किया। बैठकों में बुलाने की तो दूर की बात है। बेरिया कहते हैं कि 2022 से अब तक महल (भाजपा पर व्यंग्य) के दरवाजे पर खड़ा हूं किसी ने नहीं सुनी, अब अपनी झोपड़ी (पीडीए की पार्टी सपा) के अंदर बैठने को जगह तो मिल गयी है।‘ अखिलेश ने भी पार्टी में उनका योगदान बताते हुए उन्हें सम्मान दिया।

इससे पहले वह भाजपा में रहते हुए अखिलेश यादव से दो बार मिले थे। एक बार तब जब नेताजी (मुलायम सिंह यादव) का निधन हुआ था तो बेरिया मातमपुरसी को सैफई गए थे। दूसरी मुलाकात चार दिन पहले लखनऊ में हुई थी। सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शिवकुमार बेरिया का अपना एक अलग कद था। उन्हें शिवपाल का करीबी माना जाता है। उन्हें लगा कि उनकी उपेक्षा की जा रही है तो वह खिन्न होकर भाजपा में चले गए थे। पर कभी भी सपा पर बयानी हल्ला नहीं बोला। 

बीते शुक्रवार को अखिलेश से मिलकर बेरिया ने राजनीति में गरमाहट पैदा कर दी।  पार्टी में शामिल होते समय बकौल बेरिया, उनके साथ रसूलाबाद विधानसभा क्षेत्र से तीन सौ के करीब समर्थक थे। बेरिया सपा में दलित चेहरा के रूप में जाने जाते रहे हैं। वह रसूलाबाद (सु) से विधायक थे। यह सीट कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में आती है जहां से 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव का लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। कन्नौज से 2019 के चुनाव में डिम्पल यादव की हार के कारणों में बेरिया फैक्टर भी चर्चा में आ जाता था। 

हालांकि उनका कहना था कि उन्हें पक्ष रखने का अवसर तो दिया जाए। तब उन्हें किसी कार्यक्रम में सुब्रत पाठक के साथ देखा गया था। इसी पर सपा में बेरिया विरोधियों ने अखिलेश के कान भर दिए। यह मतभेद दूर करने में करीब दो साल लग गए। बेरिया के आने से कन्नौज लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी को मजबूती मिलने की बात कही जा रही है।

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