सहायक शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट ने की टिप्पणी- ओएमआर सही ढंग से भरना निष्पक्षता का एक हिस्सा

सहायक शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट ने की टिप्पणी- ओएमआर सही ढंग से भरना निष्पक्षता का एक हिस्सा

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में हुई अनियमितता के एक मामले में कहा कि निष्पक्षता किसी भी चयन प्रक्रिया की आत्मा होती है। ओएमआर शीट और उस पर दिए गए विवरण को निर्देशों के अनुसार सही ढंग से भरना निष्पक्षता का ही एक हिस्सा है।

ओएमआर को निर्देशों के अनुसार न भरने पर आने वाले परिणाम के लिए चयन प्रक्रिया को कटघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने रंजीत कुमार यादव और 28 अन्य के साथ दर्जनों याचिकाओं को खारिज करते हुए की। 

मामले के अनुसार याचियों ने शासनादेश दिनांक 19 फरवरी 2021 के अनुसरण में शुरू की गई जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाध्यापक एवं सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया, जिसका परिणाम 15 नवंबर 2021 को घोषित हुआ, उसमें सभी याची उत्तीर्ण थे। 

उसके बाद कुछ शासनादेशों के आधार पर नियामक प्राधिकरण ने पहले के परिणाम को रद्द करने के बाद 6 सितंबर 2022 को नये परिणाम की सूची घोषित की, जिसमें याचियों का नाम नहीं था। याचियों के अधिवक्ता का तर्क है कि प्रारंभिक परिणाम में ओएमआर शीट के त्रुटिपूर्ण होने की बात नहीं पाई गई थी। अतः यह नहीं कहा जा सकता कि नए मूल्यांकन के लिए उनकी ओएमआर शीट की जांच न की गई हो। 

हालांकि कोर्ट का कहना है कि प्रश्न पुस्तिका में उल्लिखित निर्देश बहुत ही स्पष्ट थे कि विषय के सामने केवल एक ही गोला भरना है, जिसका पालन याचियों द्वारा नहीं किया गया। अंत में कोर्ट ने निष्कर्ष दिया कि याची उत्तर पुस्तिका के बाद के सत्यापन या जांच में किसी भी कानूनी त्रुटि को इंगित करने में विफल रहे हैं। इस आधार पर कोर्ट ने सभी यचिकाएं खारिज कर दीं।

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