Special Story : 32 साल पहले लिया प्रण हुआ पूरा, अब राममंदिर में भेंट करना चाहते हैं श्रीरामचरितमानस

साल 1991 से श्रीरामचरित्रमानस लिखना शुरू की, 9 बार लिख चुके हैं', जून 1992 में चांदी की छतरी की थी भेंट, पहली लिखी हुई पुस्तक प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देना चाहता हैं : रामभक्त अतुल कुमार

Special Story :  32 साल पहले लिया प्रण हुआ पूरा, अब राममंदिर में भेंट करना चाहते हैं श्रीरामचरितमानस

अब्दुल वाजिद, अमृत विचार। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए भव्य तैयारियां हो रही हैं। देश भर से राम भक्त अयोध्या भगवान राम के मंदिर के लिए अपनी आस्था के अनुसार कुछ न कुछ भेंट कर रहे हैं। ऐसे ही मुरादाबाद के एक राम भक्त अतुल कुमार हैं, जो पिछले 32 सालों से भगवान राम की भक्ति में लीन होकर अपने हाथ से श्रीरामचरितमानस लिख रहे हैं। अब तक वह नौ श्रीरामचरित्रमानस अपने हाथों से लिख चुके हैं। सबसे पहले इन्होंने 1991 में श्रीरामचरितमानस लिखना शुरू किया था, जब देश मे राम मंदिर के लिए रथ यात्रा शुरू हुई थी। इन्होंने प्रण लिया था कि जब तक राम मंदिर नहीं बन जाता तब तक वह श्रीरामचरित्रमानस लिखते रहेंगे। 

अब उनकी मनोकामना पूरी हो गयी है तो वह सबसे पहले लिखी गई श्रीरामचरितमानस भगवान राम के चरणों मे समर्पित करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी है। वह अपने हाथ से लिखी हुई श्रीरामचरितमानस को लेकर वह अयोध्या जायेंगे और वहां म्यूज़ियम में इस श्रीरामचरितमानस को रखवा कर आयेंगे। इससे पहले भी 1992 में वह अयोध्या गए थे और भगवान राम की मूर्ति पर चांदी की छतरी चढ़ा कर आये थे, जो 28 सालों तक भगवान राम के मंदिर में उनकी मूर्ति पर लगी रही। अब अतुल कुमार अपने हाथ से लिखी श्रीरामचरितमानस को भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन भेंट करना चाहते हैं। इस श्रीरामचरितमानस में इन्होंने 1990 से अब तक के राम मंदिर आंदोलन के घटना क्रमों के चित्र भी लगाए हैं और हर पाठ के अनुसार इसमें तस्वीरें भी लगाई हैं। 

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नौ बार लिख चुके हैं श्रीरामचरित्रमानस
रामभक्त अतुल कुमार बताते हैं कि साल 1991 से वो  लिख रहे हैं। अब तक नौ पुस्तक लिख चुके हैं। उन्होंने बताया की एक श्रीरामचरितमानस को लिखने में तीन साल का समय लगता कि हैं। श्रीरामचरितमानस की खास बात ये है की इसे हाथ से लिखा गया है। उन्होंने बताया की 1991 में जब एल के अडवाणी और मोदी जी की रथयात्रा शुरू हुई थी तभी से लिखना शुरू कर दिया था। 

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प्रण लिया था....जब तक नहीं बन जाता राममंदिर तब तक लिखते रहेंगे श्रीरामचरित्रमानस
अतुल कुमार के मुताबिक उन्होंने साल 1991 में प्रण लिया था की जब तक रामनगरी अयोध्या में राममंदिर नही बन जाता तब तक वो श्रीरामचरितमानस लिखते रहेंगे। 32 साल बाद उनकी मनोकामना पूरी हुई और राममंदिर बनना शुरू हो गया है। अतुल कुमार ने बताया की उनकी तमन्ना है वो पहली पुस्तक अगामी 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भेंट करना चाहते हैं। 

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जून 1992 में चांदी की छतरी की थी भेंट
रामभक्त अतुल कुमार बताते हैं की साल 1992 में वो जब अयोध्या गए थे। तब यहां से चांदी की छतरी राम चंद्र जी के लिए ले गए थे और वहां राममंदिर के पुजारी को भेंट की थी। उन्होंने राममंदिर में उसे लगा दिया था। वर्ष 1992 के आखिर में उसका विध्वंस होने की वजह और सरकार के यथास्थिति बने रहने के चलते साल 2020 तक वो छतरी वहां लगी रही।

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