Special Story : रामपुर से विश्व प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राना का था अटूट रिश्ता
रामपुर के शायरों के साथ अमेरिका, कतर, बहरीन, दुबई और पाकिस्तान में पढ़े मुशायरे, लोगों की जिंदगी से जुड़े मसलों को बनाया अपनी शायरी का मजमून
सुहेल जैदी, अमृत विचार। अदब के तीन स्कूलों दिल्ली और लखनऊ के साथ रामपुर का नाम भी शामिल है। दिल्ली और लखनऊ तो वक्त के धारे में बह गए। जबकि, रामपुर में अदब और अदब नवाज अभी बाकी हैं। यही वजह है कि देश-दुनिया का हर शायर रामपुर में होने वाले मुशायरों में अपना कलाम जरूर पढ़ना चाहता है। यह सिलसिला मिर्जा असद उल्लाह खां गालिब और दाग देहलवी जैसे नामवर शायरों से चला आ रहा है। मुनव्वर राना वर्ष 1990 में किला मैदान में उस्ताद रामपुरी की याद में हुए मुशायरे में आए। इसके बाद नगर पालिका परिषद और उसके बाद सपा सरकार के दौर में वर्ष 2014 में रामपुर आए और जौहर यूनिवर्सिटी के मंच से उन्होंने दर्शक दीर्घा में बैठे पूर्व मंत्री आजम खां से दो टूक कहा कि अब तो आप हमारा फोन भी रिसीव नहीं करते हैं। हाजिर जवाब आजम खां उस समय कोई जवाब नहीं दे पाए थे।
कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध शायर नवाज देवबंदी कर रहे थे। मुनव्वर राना ने बातचीत में कहा था कि रामपुर से उनका अटूट रिश्ता है और रामपुर में अदब नवाज लोग मौजूद हैं। जबकि, लखनऊ और दिल्ली से यह संस्कृति मिट चुकी है। मुनव्वर राना ने बताया था कि रामपुर में देश-दुनिया का शायर मुशायरा पढ़ना चाहता है। उन्होंने बातचीत के दौरान किसी पर अपनी गजल के इस शेर से तंज किया था- इतना सांसों की रफाकत पे भरोसा न करो- सब के सब मिट्टी के अंबार में खो जाते हैं।
जौहर यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में मुनव्वर राना ने लोगों की फरमाइश पर मां शीर्षक से अपनी यह नज्म सुनाकर खूब वाह-वाही पाई थी...लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती।
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है। मुनव्वर राना ने रामपुर के शायरों के साथ अमेरिका, कतर, बहरीन, दुबई, पाकिस्तान में मुशायरों में शिरकत की। अमृत विचार ने रामपुर में उनके दोस्त शायरों से उनकी शख्सियत के बारे में बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...।
प्रसिद्ध शायर ताहिर फराज बताते हैं कि वर्ष 1990 में किला मैदान में हुआ मुशायरा निपटने के बाद कई नामचीन शायर दो-तीन दिन के लिए रामपुर में रुके थे। सभी लोग बैठे थे तब शायर और साहित्यकार सलाहुद्दीन परवेज ने मुनव्वर राना से कहा कि मुझे मुशायरे में बुलवाया करो। मुनव्वर राना ने बे साख्ता कहा कि आप अदब में दाखिला दे दो हम तुम्हें मुशायरों में दाखिला दे देंगे। तब सलाहुद्दीन परवेज दिल्ली से एक रिसाला निकालते थे। मुनव्वर राना एक अच्छे अदीब (साहित्यकार) भी थे। ताहिर फराज बताते हैं कि बिजनौर में हुए मुशायरे में मुनव्वर राना ने कहा कि उर्दू एकेडमी शिप से रिजाइन कर दिया। तब ताहिर फराज ने मुनव्वर राना को यह शेर सुनाया था जिसको सुनकर वह मुस्कुरा दिए थे-उसको होना था मेरा हमदम हुआ-हां मगर उम्मीद से कुछ कम हुआ।
क्या बोले शायर?
'रामपुर आकर कलाम सुनाना एक टास्क होता था'
उस्ताद रामपुरी की याद में किला मैदान में वर्ष 1990 में मुशायरा हुआ था और उस मुशायरे के संयोजक प्रसिद्ध उद्योगपति मुकर्रम हुसैन सिद्दीकी थे। मुशायरे में सलाहुद्दीन परवेज, मलिक जादा मंजूर अहमद, राहत इंदौरी, मुनव्वर राना समेत बहुत नामचीन शायर आए थे और रामपुर में दो-तीन दिन रुके थे। क्योंकि, शायर रामपुर के मुशायरों में कलाम सुनाकर फख्र महसूस करते हैं। क्योंकि, तब रामपुर आकर कलाम सुनाना एक टास्क होता था। मुनव्वर राना हाजिर जवाब थे शेर के कहने के मामले में उनका अंदाज अलग था। वह आसान जबान में शेर कहने के कायल थे। - ताहिर फराज, विश्व प्रसिद्ध शायर
'राहत इंदौरी और मुनव्वर राना की कमी हमेशा खलती रहेगी'
मुनव्वर राना के मरने से खला (खाली स्थान) पैदा हुआ है। राहत इंदौरी और मुनव्वर राना की कमी हमेशा खलती रहेगी। मुनव्वर राना इंतकाल से कुछ महीने पहले एक किताब तरतीब करना चाह रहे थे। किताब के लिए मतअले चाह रहे थे, तब मैंने उन्हें रामपुर से अच्छे शायरों के मतअले भेजे थे। वह परेशानी में थे और बहुत तकलीफें उठाईं। कतर, दुबई, अमेरिका में मेरा इनका साथ नहीं हुआ लेकिन पाकिस्तान में साथ मुशायरा पढ़ा। रामपुर एक दबिस्तान है इसकी पहचान आज तक बाकी है। दिल्ली और लखनऊ खत्म हो चुके वहां कोई पहचान बाकी नहीं है। - अजहर इनायती, विश्व प्रसिद्ध शायर
'हमारे प्यारे दोस्तों में थे बहुत हौसला अफजाई की'
मुनव्वर राना की मौत से अदब को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। हमारे प्यारे दोस्तों में थे उन्होंने मेरी बहुत हौसला अफजाई की है। सीनियर में अब वसीम बरेलवी साहब हैं। मुनव्वर राना पाकिस्तान में बहुत चहेते शायर रहे हैं। मुनव्वर राना का मुहाजिर नामा पाकिस्तान में बहुत मकबूल था। इनका बहुत बड़ा ट्रांसपोर्ट का लखनऊ और कलकत्ते तक काम था। जायदाद को लेकर काफी बवाल हुए इनकी बेटियां राजनीति में आ गईं और कई मुकदमें भी हुए। अब ऐसे लोग नहीं आ रहे हैं सारे लोग खत्म होते जा रहे हैं।मलिक जादा मंजूर अहमद उनके उस्ताद थे। - नईम नजमी, विश्व प्रसिद्ध शायर
'अपने अंदाजे बयान से सामाईन के दिलों पर छाप छोड़ी'
वर्ष 2013 में मैं अमेरिका में था वहां लोगों ने कहा कि मुनव्वर राना के नाम पर अमेरिका में जश्न हो जाए। उन्हें मैंने वहां से फोन पर पूरी बात बताई और वह अमेरिका पहुंच गए और कई जगह मुशायरों में शिरकत की। नामवर शायर थे सफे अव्वल के शायर थे। उन्होंने अपने बयान से सामाईन के दिलों पर जो छाप छोड़ी है वह अमिट है। मुहाजिर नामे में उन्होंने 500 शेर कहे हैं। एम्स दिल्ली में मुनव्वर राना की अच्छी पकड़ थी और बहुत लोगों की उन्होंने एम्स में मदद की। उनकी मौत से अदब का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। ऐसी शख्सियत अब आसानी से मयस्सर नहीं होगी। - शकील गौस, विश्व प्रसिद शायर
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