Kanpur News: नेत्रदान करने की लोगों में बढ़ी ललक.. आंख की रोशनी गंवाने वालों की रोशन हुई जिंदगी, सात दिनों में इतने कार्निया दान..

कानपुर में मेडिकल कॉलेज को सात दिनों में 10 कार्निया दान मिले हैं।

Kanpur News: नेत्रदान करने की लोगों में बढ़ी ललक.. आंख की रोशनी गंवाने वालों की रोशन हुई जिंदगी, सात दिनों में इतने कार्निया दान..

कानपुर में अंधता रोग से पीड़ित या हादसों में रोशनी गंवाने वाले लोगों की जिंदगी रोशन हो रही है। नेत्रदान किसी अंधेरी जिंदगी में उजाला भर सकता है। शहर में धीरे-धीरे मरणोपरांत नेत्रदान करने की ललक लोगों में बढ़ रही है।

कानपुर, अमृत विचार। नेत्रदान किसी अंधेरी जिंदगी में उजाला भर सकता है। आंखें हमारे जिंदा होने तक तो जिंदगी को रोशन करती ही हैं। मरने के बाद ये दूसरे की जिंदगी में रोशनी ला सकती हैं। शहर में धीरे-धीरे मरणोपरांत नेत्रदान करने की ललक लोगों में बढ़ रही है, इसके चलते नए साल के पहले हफ्ते में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग में 10 कार्निया दान की गई हैं। 

नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी मोहन ने बताया कि नेत्रहीन व्यक्तियों को जब कोई अपनी दृष्टि देता है और वह दुनिया को देख पाता है तो यह महादान कहलाता है। नेत्रदान से ही नेत्रहीन व्यक्ति देख सकता है, क्योंकि कुदरत की दी हुई कार्निया को बनाया नहीं जा सकता है। नेत्रदान से कार्निया प्राप्त करने वाली टीम में डॉ. नम्रता पटेल, डॉ. सुरभी अग्रवाल, डॉ. प्रीति गुप्ता, डॉ. स्नेहा रंजन व डॉ. कंचन किरण शामिल हैं। 

नेत्रदान के बाद लगाते कृत्रिम आंख 

विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी मोहन ने बताया कि कई बार एक महीने में पांच कॉर्निया तक दान में नहीं आ पाती हैं, लेकिन नए साल के पहले  सप्ताह में 10 कार्निया दान में आना मिसाल है। इन दान की कार्नियों से दृष्टिहीन मरीजों को लाभान्वित किया जा रहा है। अभियान चलाकर लोगों को बताया जाएगा कि मरणोपरांत नेत्रदान के बाद शव में कृत्रिम आंख डाली जाती हैं। पलकें बंद हो जाती हैं, जिससे देखने में खराब नहीं लगता है।

यह प्रयास निश्चित तौर से अत्यधिक सराहनीय हैं और जितना अधिक लोग बढ़ चढ़कर इस मुहिम में आगे आएंगे, उतना ही हम नेत्रहीनों को  प्रकाश प्रदान कर पाएंगे। इसकी पूर्ण सुविधा अस्पताल में निःशुल्क है।     -  प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

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