अमेठी: 17 वर्षों में नहीं दर्ज हो पाई आबादी, अब नपा बता रही अपनी जमीन
पहले चकबन्दी, फिर दीवानी से राजस्व अभिलेखों में आबादी की जमीन दर्ज करने का हुआ था आदेश

लक्ष्मण प्रसाद वर्मा, अमेठी। जायस नगर पालिका क्षेत्र अन्तर्गत एक भूमि को लेकर लगातार टारगेट किया जा रहा है। कभी सभासद विरोध कर रहे हैं तो कभी नगर पालिका द्वारा नोटिस चस्पा की जा रही है। परिसीमन के बाद जायस नगर पालिका में शामिल जिस भूमि को तूल दिया जा रहा है दर असल वह भूमि मोहल्ला सेखाना के रहने वाले जमीदारी प्रथा के दौरान नम्बरदार मो. इब्राहिम ने एक जून 1942 को ही विश्राम के नाम पर पट्टा कर दिया था।
कमीशन रिपोर्ट के आधार पर पहले चकबंदी न्यायालय फिर दीवानी न्यायालय ने उक्त भूमि को राजस्व अभिलेखों में 17 वर्ष पहले ही आबादी की भूमि दर्ज करने का आदेश दिया था। जबकि नगर पालिका ने भी न्यायालय में वाद दायर किया था, लेकिन 2014 में ही नगर पालिका द्वारा दायर किया गया वाद न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया।
जायस नगर पालिका के मोहल्ला सेखाना निवासी मो. इब्राहिम ने जमीदारी प्रथा के दौरान एक जून 1942 को कस्बे के ही रहने वाले विश्राम मौर्य के नाम गाटा संख्या 7105 का आंशिक भाग पट्टा लिख दिया था। जिसका गाटा संख्या इस समय 9615 है। सबसे पहले पट्टे का विरोध कस्बे की रहने वाली अतीकुन निशा ने किया और न्यायालय डलमऊ में वाद संख्या 331/93 दायर कर दिया। न्यायालय ने कमीशन रिपोर्ट के आधार पर विश्राम मौर्य का कब्जा दखल, मढहिया, पक्की कोठरी, ट्युवबेल आदि पाया गया था।
न्यायालय डलमऊ ने 20 मार्च 1999 में आदेश पारित कर दिया कि अकीतुन निशा किसी तरह का विश्राम मौर्य के कब्जा दखल में हस्तक्षेप न करें। इसके बाद चकबन्दी अधिकारी रायबरेली के यहां मुकदमा चला। चकबंदी अधिकारी ने 30 नवंबर 2006 को अपने आदेश में लिखा कि उपरोक्त विवेचना के फल स्वरूप कमीशन रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हो, और खतौनी में आबादी अंकित किया जाय।
आदेश हुए 17 वर्ष बीत गए लेकिन अब तक 9615 गाटा संख्या खतौनी में आबादी दर्ज नहीं हो सकी। इसके बाद तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष ने सिविल जज जूनियर डिवीजन डलमऊ कोर्ट नम्बर 18 के यहां मूल वाद संख्या 735/99 दायर किया। लेकिन न्यायालय ने नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा दायर किये गए वाद को 25 अप्रैल 2014 में खारिज कर दिया।
अतीकुन निशा ने न्यायालय डलमऊ के आदेश को पीठासीन अधिकारी (श्रेया सोलंकी) उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा यूपी 03497 के यहां चैलेंज किया। पीठासीन अधिकारी ने भी अतीकुन निशा के वाद को 2 नवंबर 2023 को खारिज कर दिया। इस भूमि को कभी नगर पालिका तो कभी सभासद द्वारा टारगेट किया जा रहा है। कुछ दिन पहले इसी भूमि को लेकर पालिका प्रशासन ने बिना जांच पड़ताल किये ही मृतक विश्राम के नाम नोटिस चस्पा कर दी थी, काफी फजीहत होने के बाद दोबारा दूसरी नोटिस मनोज मौर्या के नाम चस्पा की थी।
मृतक विश्राम मौर्य के नाती मनोज मौर्या ने बताया कि 8 दशक से उक्त भूमि पर कब्जा दखल है। अतीकुन निशा और नगर पालिका द्वारा दायर याचिकाएं न्ययालय द्वारा खारिज कर दी गई है, फिर भी मुझे कभी सभासद टारगेट करते हैं, तो कभी नगर पालिका द्वारा नोटिस चस्पा कर परेशान किया जा रहा है।
अतीकुन निशा फिर नगर पालिका ने न्यायालय में बारी-बारी से वाद दायर किया था, दोनों वाद न्यायालय से खारिज किये जा चुके हैं, चकबन्दी अधिकारी ने भी आबादी की भूमि दर्ज किए जाने का आदेश पारित किया था, सभासदों द्वारा बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं, नोटिस किस तरह से ईओ ने चस्पा की है, वहीं जानें..., मनीषा चौहान चेयरमैन जायस नगर पालिका।
यह भी पढ़ें:-कांग्रेस ने यूपी लोकसभा सीटों के 80 प्रभारियों का किया ऐलान, सुभाष पाल को मिली लखनऊ की कमान, देखें लिस्ट